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सोमवार, 24 जुलाई 2017


मई 23 
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उगना
हरा होना
गिर कर सूख जाना
पत्थर हो जाना
मिट्टी हो जाना
जीना हर शै को
जिंदगी की
मरने से ज्यादा !
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दो कदम हमसफर

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राह कटे संताप से !

फिर झुंझलाकर मैने पूछा अपनी खाली जेब से  क्या मौज कटेगी जीवन की झूठ और फरेब से  जेब ने बोला चुप कर चुरूए भला हुआ कब ऐब से  फिर खिसिया कर मैन...