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शुक्रवार, 29 नवंबर 2013




बिहार में विहार
खाने का असली मजा लेना हो तो गाँव कि ऒर बढ़ो,बिहार के एक छोटे से गाँव के ईंट भट्टे में काम करने वाले मजदूरों कि लिसी पुती रसोईं में जब सील बट्टे पर पिस्ते एक दर्जन से ज्यादा  खड़ा मसाले कि महक जब नाक के रास्ते दिल में गयी तो सहसा खुद चिकेन बनाने का रिस्क लेने का हौसला न जाने कहा से आगया। हलकी गुलाबी ठण्ड, झोपड़ी कि दराज़ों से  रिसती शीत लहर,मिटटी पर  पड़ी ओस कि बूंदों से नम मिटटी कि सोंधी खुशबू के बीच देशी मुर्गा,,,कढ़ाई में,,,,,,कढ़ाई में पाक रहे मुर्ग के टेक्सचर को देख कर आप अंदाजा लगा सकते हैं ,,,,,,,,,,,,

शुक्रवार, 25 अक्तूबर 2013

चुप रहो,चुप रहने में ही समझदारी है,
न जाने कौन सी बात बतंगड़ बन जाए।
बेवजह बात होती है पत्थर कि तरह,
कही पत्थर से समुन्दर सुनामी न बन जाए।।
.........................................प्रभात सिंह 

रविवार, 20 अक्तूबर 2013

मुंडन बालों का होता है , नर्म मुलायम खाल का नहीं

हो गया मुंडन
नन्ही सी जान के कोमल से सर पर उस्तरा चल ही गया
पेट के बाल अब नहीं रहे
पिता अपने गोद में घुटते हुए सर को लिए "आहिस्ता आहिस्ता "कहता रहा
नन्ही चीत्कार को अपने अन्दर जज्ब करता रहा
कोमल त्वचा पर उस्तरे की धार, वार पर वार करती रही
सुर्ख लाल खून से शर्ट की बाजू लाल हो चली
नन्ही कली की बुआ ने अपने  बहते आंसुओं के साथ
आंटे की लोई में मुलायम बाल बंद कर लिए
हो गया मुंडन ,बधाई गीत गाओ
हो गया मुंडन
माँ कहती है की मुंडन साल भीतर ही शुभ और अच्छे होते हैं
दिल कहता है की कम से कम पांच साल में हो
क्यूँकि मुंडन बालों का होता है नर्म मुलायम खाल का नहीं।।
,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,, प्रभात सिंह 

बुधवार, 26 जून 2013

महाप्रलय की सबसे बड़ी कवरेज !
जी हाँ सबसे बड़ी कवरेज! ये भी उतनी ही बड़ी त्रासदी है जितनी की केदारनाथ में।प्रकृति की इस सबसे बड़ी कवरेज में मीडिया और राजनीती की कवरेज भी उसी वेग से बढ़ रही है जिस वेग से मिलिट्री, आई टी बी पि, एन डी आर एस का रेस्क्यू आपरेशन बढ़ रहा है।इस महाप्रलय की महा कवरेज यूँ ही चलती रहेगी साल दर साल, बनते बिगड़ते रहेंगे आंकड़ो के समीकरण।आंकडें इस महाप्रलय की महाकव्रेज में फलाना टी वी के रिपोर्टर ने आपदा के कितने नजदीक जाकर अपनी दिलेरी दिखाई और चैनल द्वारा इस महाकाव्रेज के लिए कितना जोखिम उठाया गया। आंकड़े किस नेता ने कितनी बार प्राईम टाईम पर आकर अपनी चिंताए अपना शोक व्यक्त किया।किस पार्टी ने कितना सामन आपदा राहत में भेजा।आखिरकार जो दीखता है वही बिकता है।लेकिन इस महाप्रलय की महाकाव्रेज को जब जब दिखाया जायेगा तब तब इस महाप्रलय में अपना सब कुछ खो चुके महामानव के जख्मों पर महानमक छिडकता रहेग।जब तक ऐसी या इससे बड़ी महाप्रलय दोबारा न हो। क्यूकि दर्द ही दर्द को काटता है।

मैं आ रहा हूं ... #imamdasta

  जो सिनेमा हमारे नज़दीक के थिएटर या ओ टी टी प्लेटफार्म पर पहुंचता है । वह हम दर्शकों को तश्तरी में परसा हुआ मिलता है । 150 से लेकर 600 रुपए...