चाह कर भी ....!
चाह कर भी
न की गईं अनगिनत कॉलें
दर्ज़ होती हैं कहीं ?
न की गईं अनगिनत कॉलें
दर्ज़ होती हैं कहीं ?
नही न !
होती
तो वो वापस आतीं
बेवक़्त बेसाख्ता
तो वो वापस आतीं
बेवक़्त बेसाख्ता
आती हैं कुछ एक
सुबह, दोपहर, शाम
मियादी वक़्त पर
दवा की तरह ।।
सुबह, दोपहर, शाम
मियादी वक़्त पर
दवा की तरह ।।
एक बैग पैक की दस्तक
पहुंचती है तुम्हारे शहर
हर महीने मिलने
दर्ज़ होती हैं कहीं ?
पहुंचती है तुम्हारे शहर
हर महीने मिलने
दर्ज़ होती हैं कहीं ?
नहीं न !
होती
तो न लौटती
बिना मिले, बे मन
तो न लौटती
बिना मिले, बे मन
लौटता है बैग पैक
अनखुले कपड़े, अनारक्षित टिकेट
शहर की खुशबू लिए
नई उम्मीद की तरह ।।
अनखुले कपड़े, अनारक्षित टिकेट
शहर की खुशबू लिए
नई उम्मीद की तरह ।।
महीनों के दरम्यान
हाँ और न का
मूक संवाद
दर्ज़ होता है कहीं ?
हाँ और न का
मूक संवाद
दर्ज़ होता है कहीं ?
हाँ न !
न होता
तो हम, हम न होते
दो किनारों पर तठस्थ
तो हम, हम न होते
दो किनारों पर तठस्थ
होते हैं हम,बे हम
जलते बुझते
उगते डूबते
दिन और रात की तरह ।।
जलते बुझते
उगते डूबते
दिन और रात की तरह ।।