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शनिवार, 22 फ़रवरी 2014

पिछड़ते कदम दौड़ने का अभ्यास करते हैं 

झूठ और फरेब कि गठरी लिए 
चका चौंध रास्तों पर 
अंधी दौड़ में शामिल 
सैकड़ों लोग 
मुह चिढ़ाते हुए 
सर्र सर्र निकल जाते हैं 
मेरे करीब से 

हँसते मुस्कराते चेहरे 
दम्भ से भरे 
नाजायज को जायज 
में लपेटे 
इंसानियत को प्रतिस्पर्धा 
से रौंदते 
ललकारते हैं 
मेरे सामर्थ्य को 

आलिशान चहारदिवारों 
लक दक गाड़ियों
बेश कीमती आभूषणो 
से पटे 
भविष्य कि चर्चाओं के बीच 
संरक्षित जीवन 
उजाड़ते हैं 
मेरे वर्त्तमान को 

जीवन कि इस 
अंधी दौड़ में 
थके,हारे पिछड़ते 
मेरे कदम 
दौड़ने का करते हैं 
अभ्यास 
हर रात सोने से पहले 
                                                                       बिस्तर पर !…………  प्रभात सिंह 

शुक्रवार, 7 फ़रवरी 2014



जो मर गया वोह स्मैकिया था.....

कौन था वोह, कहा से आया था , यहाँ क्या कर रहा था ,उम्र कितनी थी उसकी,किस बिरादरी का था और कौन सी बोली बोलता था ? आधार कार्ड,वोटर कार्ड या  राशन कार्ड था उसके पास  क्या वोह लावारिस है या स्मैकिया ? उसके शरीर पर पड़े  फफोलों और पिछले कई दिनों से मृत पड़े शारीर  से तीछन बदबू उसके स्मैकिया होने कि तस्दीक करती है हां  वोह स्मैकिया है लेकिन ये भी पक्का हो गया  कि वह लावारिस नहीं है. लावारिस होता तो शायद किसी को रहम आ जाता और उसकी सुचना पुलिस या और जाने अनजाने में देता।स्मैकिया था इसलिए तहजीब और नफासत के शहर के बीचोबीच इंसानियत का लबादा ओढ़े हज़ारों बुत आते जाते रहे और किसी को उनमे से ही किसी एक बुत कि उस सड़ती लाश कि भनक तक नहीं लगी. शहर के व्यस्ततम माने जाने वाले निशातगंज से आई टी कि और जाने वाले फलाई ओवर के रेलिंग के किनारे वोह कई दिनों से मृत पड़ा सड़ता रहा.लोग कहते रहे हां ये वही है जो इंजेक्शन लेता था.…ये वही स्मैकिया है..... इनको जब स्मैक नहीं मिलती है तो यह ऐसे ही मर जाते हैं और फट जाते हैं.…पुलिस को भी मालुम है कि वोह स्मैकिया ही है,उन्होंने बताया भी कि ये लोग सड़क के किनारे पड़े रहते हैं.……अब कहा से लाये कपडा कैसे ले जाए उसको श्मशान घाट..... वोह तो लावारिश तक नहीं है.....उसके लिए मानवीय संवेदनाओं कि कोई जगह नहीं है.… एक सवाल तो ये भी उठता है कि क्या नशाखोरी का धंधा चलाने  वालों का भी यही हश्र होता है,उनके पास तो वोह सब होता है जो इस स्मैकिये पास नहीं था.…… क्यों नहीं दिखायी देते हमें वोह गिने चुने स्मैकिये  जो हज़ारों लोगों को ऐसे ही सड़क किनारे रोज मरने के लिए छोड़ देते हैं........ प्रभात सिंह

नोट > रेलिंग के साइड में लगी होर्डिंग पर देखिये लिखा है वेक उप लखनऊ और लाश के पड़ोस से जाती हुयी  लड़की 

मैं आ रहा हूं ... #imamdasta

  जो सिनेमा हमारे नज़दीक के थिएटर या ओ टी टी प्लेटफार्म पर पहुंचता है । वह हम दर्शकों को तश्तरी में परसा हुआ मिलता है । 150 से लेकर 600 रुपए...