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शनिवार, 23 नवंबर 2019

वक़्त

देखते रहना सुकून से
वक़्त की चाल
जहाँ बैठे हो बैठे रहो !

कोई चाल चमक जाएगी
पेशानियों पर
झुर्रियों से लहू टपकने लगे
समझ लेना युवा उफान पर है

बोलती और बखानियों में
अंतर कोई ज़्यादा नही
एक उम्र का तकाज़ा
मुट्ठी भर ईमान का।

बड़ों की तितलियों से
कभी कुनबा महकता था
वली की भित्तियों से राह तक
कभी चिमनी का धुवाँ
आम होता था।

उम्र

टेढ़ी रीढ़
सोखता हो चुकी धमनियों का
एक ढांचा
असहमतियों की गुंजाइश को
खारिज़ करता है

इक उम्र झुर्रियों से पहले
चूर हो जाती है
अहम के सारे जीवाणु
पतले होते हैं
पुरानी भित्तियों के साँप
लौटते रहते हैं

असहमति के साथ कुछ दूर
चलना सिखाया नही जा सकता
चलना, चश्मदीद
ही होता है
लिपटे कदमों के निशान
नही मिलते

सहचरों के कदमताल
से लेकर आगे बढ़ जाने तक
ढाँचा कंपित होता है

रोज़ कोरों से रिसते हुए खारों से
फुसफुसी हड्डियों के दर्द से
पिलपिली यादों के दलदल से
भला कौन बच पाया है
जो तुम बचोगे !

तुम ढाँचा हो !
गिर जाओगे ।

देखने को अब बचा ही क्या है
जो तुम देखोगे !

रविवार, 8 सितंबर 2019

जुताई

तके तके
हटे हटे
दाएं बाएं
गूने गूने
मन तन

कुसी धरे
बैलन पर
खेतन मा
टिबबल से
पानी झरे
छन छन !

गुरुवार, 1 अगस्त 2019

दूरी !

हम मिलते हैं रोज़
सैकड़ों किलोमीटर की थकान
मनों भार लेकर
भिड़ जाते हैं आमने सामने

भिड़ने के बाद
दो दूनी चार
बटे, हँसिल दुनिया
बच जाती है
रोज़
सुबह दोपहर शाम
दूरी कोई दूरी होती है भला !

बुधवार, 31 जुलाई 2019


बीज !

रक्त के बीज गिरे जहाँ
फूल पल्लवित हुए वहाँ
भोग कर रक्त को रक्त में
पानी पानी डूबे आदमी ने
न जाने कहाँ जगह ली !

समय की तेज धारा ने
रक्त को मैला किया
धवल करती रहीं
रक्त की पैदाईशें ।

........................................

ये कहने वाले
सब हमारे घराने के हैं
देखिए न ! रात टूटी हुई है

और तारे ऐंठ के कहते हैं
जरा मद्धम !
.......................................

सोमवार, 20 मई 2019



फूल बाज़ार !

फूल बाज़ार के धन्नी सुबह 3 बजे चल देते हैं अपने घर से। हेलमेट पहने धन्नी, लुंगी में फूलों का गट्ठर बांधे 30 किलोमीटर की दूरी से आते हैं। धन्नी जैसे तमाम और धन्नी।  "गेंदा" वाले होते हैं। गुलाब वाले रसिकलाल सुबह 6 बजे आते हैं। छोटी छोटी पोटली बांधे, साइकिल पर शहर के आस पास से आते हैं। 6 बजे के बाद कमल का फूल, लिली, बेलपत्री, नारगुज़रिया बाकी के सब आते रहते हैं झोलों में।
  अपनी जड़ों से उखड़े हुए फूल महक देते हैं। छिटके जमीन पर गिरे फूल, सूख के गुलगुले गद्दे हो जाते हैं। सबसे मज़ेदार बात यह है। चिड़ियाँ न जाने क्या फूलों में चुनने आती हैं। गैरिया भी । भवरें, मधुमक्खियां, ततैया को शायद टूटे हुए फूल पसंद नही हों। चिड़ियाँ डरती तक नहीं उनसे जिन्होंने फूल तोड़े हैं। धन्नी और रसिकलाल जैसे लोगों के पैरों के बीच फुदकती हैं। उनके सामने उनकी डलिया के फूलों में चोंच मार कर कुछ बीन ले जाती हैं। वो बीना हुआ दिखाई नही देता।
   फूलबाज़ार के रंग, महक और रस एक बड़े से नाले के पास रखे जाते हैं बिक्री के लिए। फूलबाज़ार के फूल भगवान से शैतान तक चढ़ने के लिए तैयार रहते हैं।

बुधवार, 13 मार्च 2019

बदलावों के नियम नही होते

आड़ी तिरछी रेखाएं
भागती हैं हथेलियों से
भीतर बाहर ।
धौकनी की तेज लपट में
बदलूँ की न बदलूँ
कई बार स्वाहा होता है ।
नफ़ा नुकसान की बहियाँ
रख देनी होती हैं
ठंढे बस्ते में
कभी लोमड़ी, कभी गिलहरी
तो कभी पीपल के पेड़ की
कोयल हो जाना होता है।

गुरुवार, 7 मार्च 2019

ख़त्म न हों कहानियाँ !

कहानियाँ खत्म न हों
किरदार खत्म कर दो

ये सीख नही
कोई अनुभव भी नही
बीच का
कोई करार होगा शायद

भूल गलतियों के
न जाने कितने टेक चलते रहे
कहानी किरदार
आमने सामने
गुथते रहते

भीड़ के सामने दोनों
ऐसे खत्म होना चाहते हैं
याद किए जाएं वो
एक कहानी एक किरदार की तरह
अपनी आस पास की
कहानियों में !

शुक्रवार, 1 फ़रवरी 2019

तापमान !

धूप तेजी से खेत पेडों और उसरों को लांघते दौड रही है। तीन फीट के गलियारे में लोगों की आवाजाही बढ गयी है।
     मानव की आंखे बडी देर से झपकी नही हैं। लगातार तेज हवा और गुनगुनी धूप में मानव की देंह शिथिल हो गयी हैं। पर उसका मन धूप के साथ दौड रहा है।
तभी उसके कानों में आवाज पडती हैं।
एक्सक्यूज मी ....
एक्सक्यूज मी ....
हे लिसन !
इज इट योर सीट ?
मानव चौंक कर सामने खड़ी महिला को देखता रहा ...
यस यस इटस माइन मानव सम्भल कर कहता है।
शेा मी योर टिकटस महिला तेज आवाज में आग्रह करती है। ओह श्योर ।
मनव टिकट निकाल कर पहले खुद कन्फर्म होता है। फिर उस महिला को दिखाता है।
ओह तो आपका भी आरएसी है। मानव तपाक से पूछता है। और आपका ! हॉ मेरा भी । मानव अपने पैर समेट लेता है। कान में इयर फोन लगा कर खिडकी से बाहर ही धूप में शामिल हो जाता है।
  महिला अपना सामान लगा कर साइड बर्थ की दूसरी तरफ बैठ जाती है। कुछ देर शांत बैठने के बाद वह मानव को पुकारती है।
 हे लिसन !
कैन यू प्लीज एडजस्ट समव्हेयर एल्स आई कुडन्ट स्लीप लास्ट नाइट । रात होने तक मैं सेा लेती हूॅ। फिर आप सो लीजिएगा।
मानव ने खीजते हुए कहा मैने परोपकार करना बन्द कर दिया है। 6 दिन से ट्रैवेल कर रहा हूं। बहुत परोपकार कर लिया। अब नही। जिसको देखो वो चला आता है। नए तरीके के एक्सक्यूज मी के साथ! अब नहीं। कुछ सेकण्ड बाद फिर से मानव जोर देकर कहता है। अब परोपकार नही।
महिला भावशून्य होकर खिडकी से बाहर देखने लगती है।
मानव फिर कहता है। बुरा मत मानिएगा
नही नही इटस ओके ।
एक्चुअली मेरी आरएसी सीट किसी दूसरे कम्पार्टमेंट में है। मैं वहां गयी । थोडी इनसिक्योरिटी लगी। सोचा किसी से शिफट कर लूंगी । ऐनीवेज !
   देखिए कोई इमोश्नल घेराबंदी नही। मैंने बोला कि मैं किसी की कोई हेल्प नही करना चाहता । कोई परोपकार नही। मैं यही बैठूंगा।
 साइड बर्थ पर लम्बी चुप्पी पसर जाती है। गैलरी में शाम का बाजार चाय से गर्म हुआ जा रहा है। ट्रेन पूरी रफतार में है।
महिला सोने लगती है। तभी उसका फोन बजता है। घन्टी बजती है। सामने बैठा मानव आवाज देता है।
मैम मैम आपका फोन
महिला ने अलसाए अंदाज में फोन उठाया
हेलो बेटा
हाउज योर टैस्ट
बेटी की आवाज  हां मां ठीक रहा। आपकी सीट कन्फर्म हुयी । नही अभी तो नही । टीटी आए तो बात करती हूं उससे । मां पापा से बोलूं शायद वो कुछ जुगाड करें।
नही उनसे मत बोलना।  ख्वामखां परेशान होंगे । और उनके बेतुके सवालों से मूड खराब होगा।
ओके मां अब मैं खेलने जाउं ।
हां जाओ पर कुछ खा पी के जाना। सोने से पहले फोन करूंगी ।
फोन अपने पास रखना। फोन डिस्कनेक्ट करके शीशे की खिडकी पर टेक लगा देती है। खाना बोलिए खाना बोलिए रात का खाना बोलिए कहता हुए एक वेंडर पूछता है। मैम खाना लेंगी । महिला उसी पोश्चर में बैठे बैठे पूछती है। कितने बजे दोगे। आठ बजे आएगा। दो थाली कर दूं। वेंडर दोनों की तरफ बारी बारी से देखता है। एक थाली ले आना बिना राइस के। महिला ने अपना सीट नम्बर नोट करवा दिया। मैम वेज की नॉन वेज ।
वेज!
वेंडर ने मानव की तरफ रूख कर पूछा । सर आपका खाना ।
मानव - नॉन वेज में क्या है।
सर नॉन वेज में चिकेन या मच्छी के साथ 4 रोटी राइस सलाद और अचार।
मानव- कितने की है थाली ।
सर 120 की है। चिकेन या मच्छी कुछ भी लें।
यार कुछ कम कर लो।
न्ही सर ट्रेन का दाम फिक्स रहता है।
ठीक है एक थाली लिख लो।
वेंडर उन दो लोगों के बीच को खाली छोड जाता है।
तुम्हारा लगेज नही है । महिला ने मानव से पूछा। इस अप्रत्याशित सवाल के जवाब में मानव ने बडा सवाल रख दिया।
क्यों !
ऐसे ही पूछा। दिख नही रहा है। इसलिए पूछाा।
टोह चिन्ता मत करिए ! आपका सामान लेकर नही भागूंगा । चोर लैमार नही हूं। और न ही जहरखुरान।
क्या करते हो ! महिला ने पूछा। मानव ने सवाल को सिरे से खारिज करते हुए कहा कुछ नही !
डोंट यू कैरी ब्लैंकेट !  इतनी ठंढ है। और उपर से खिडकी की दराज से तीर की तरह आती हवा। महिला अपना कम्बल कांधे से ओढते हुए बोलती है।
 अचानक निकलना पडा । इसलिए एक पतली सी शॉल रख पाया। उसी से काम चल रहा है।
हम्म ! रख लेना था तुम्हे ।
हां रख तो लेना चाहिए था। अब महसूस हो रही है ठंढ । बारिश की वजह से ठंढ बढ गयी है। स्टेशन आते वक्त हल्का सा भीग गया था। कोई नही । यही तो सफर है।
उपर वाली एक बर्थ पर मोगाइल में तेज आवाज बौलीवुड गाना बज जाता है। अन्य बर्थों पर बैठे मुसाफिर भी चौंक जाते हैं।
महिला एक बार उपर देखती है। दांत पीसते हुएए मानव की तरफ देखकर कहती है।
हाउ चीप दे आर!
मनव खिलखिलाते हुए कहता है।
मैडम ये ट्रेन है लम्बी दूरी की। बज गया होगा गल्ती से । मानव उपर वाली बर्थ पर लेटे लडके से आग्रह करता है। भइया आवाज थोडी धीमी कर लीजिए । कहो तो मैं तुम्हे अपना इयर फोन दे दूं।
मोबाइल की आवाज धीमी हो जाती है।
सर खाना लीजिए । वेंडर खाना लेकर आता है। सर आपका वेज था न !
महिला मानव से पहले ही बोल उठती है। मेरा वेज हैं।
मानव बोला हां मेरा नॉन वेज है मैम को वेज वाला दे दो। पैसे देते समय मानव ने फिर वेन्डर को मुस्कुराते हुए टोका। अरे कम से कम 20 रूपए तो छोड दो।
वेन्डर - नही सर बोला था मैं । फिक्स है। मानव पूरे पैसे दे देता है।
आप नॉन वेज नही खाती ! मानव ने गम्भीरता से पूछा।
आई हेट इट ! इटस ए फलेश ! छिः !
 मानव असहज होते हुए बोलता है। आपको पहले बोल देना था। मैं भी वेज ले लेता।
महिला ने कुछ देर पहले मानव द्वाररा कही गयी बात को दोहराती है। कोई नही यही तो सफर है। दोनों एक साथ हंसते हैं। अपना अपना खाने लगते हैं।
महिला खाते हुए पूछती है। तुम करते क्या हो !
मानव बेफिक्री से जवाब देता है। कुछ नही ।
महिला का फिर फोन बजता है।
ओफफो ! इस लडकी को भी चैन नही।
हेलो फोन में कान लगाते हुए ।
बेटा बोलो ।
लडकी ने उबे हुए अंदाज में पूछा मां कहां पहुंची ! बेटा अ्रधेरा हो रहा है। देखा नही कहां पहंचे । अच्छा बेटा खाना खा लूं। फिर करती हूं फोन । ठीक है मां । लडकी ने फोन डिस्कनेक्ट कर दिया।
कुछ मिनट के अबोले के बाद मानव ने पूछा ! वो आपकी बेटी है!
ळां 13 साल की है। पर अभी भी मम्मी की गोद में ही रहती है। हर दो घन्टे बाद उसे मां चाहिए। पास में हो या फोन पे। पागल है बिल्कुल। उस पर नाज करती हुयी मिहला मुस्कुराती है।
आपके हस्बैंड क्या करते हैं । मानव अंतिम कौर के साथ सवाल करता है।
महिला बिना जवाब दिए हांथ धोने चली जाती है।
   स्लीपर क्लास के वाशरूम में गन्दे शीशे के सामन खडी महिला कुछ देर खुद को देखती है। उसे स्लीपर क्लास के वॉशरूम में आज घिन नही आ रही है। वो अपने हांथों के साथ मुंह भी बार बार धुलती है। उसके लिए ट्रेन रूक गयी है। वो उस ट्रेन से कही नही जाना चाहती। फिलहाल तो अपनी बेटी के पास तक नही।
 मानव बहुत देर से वॉशरूम के बाहर इंतजार कर रहा है। ट्रेन रात की खामोशी में गरज रही है। मानव कभी दरवाजे पर तो कभी वॉशरूम के चहलकदमी कर रहा है। अधीर मानव अब और धैर्य नही रख सकता । वो नॉक करता हुआ पुकारता है।
मैडम आप ठीक तो है!
म्हिला बाहर निकलते हुए कहती है।
यू नो विमेंस ।
यस यस मानव सिर हिलाता है।
कुछ पल पहले तक मानव सभी आशंकाओं और सम्भावनाओं से दो चार हो गया था। वो ठण्ढी सांस भर कर वापस सीट पर चला जाता है।
महिला ने कम्बल का कुछ हिस्सा मानव के पैरों के तरफ उलझारते हुए कहा । तुम इसमें अपने पैर रख सकते हो। मैं तो चली सोने ।
 मानव के ठंढे पैर महिला के गर्म पैरों से शरारत करते रहे। महिला ने अपने पैरों से मानव के पैरों को धकेलते हुए कहा  क्या तुम आदमी लोग कुछ देर के लिए स्थिर नही रह सकते ! मैं कुछ नही कर रहा। ये खिडकी से आती हवा से हो रहा है। थोडी देर के बाद दोनों का तापमान एक समान हो जाता है। अल सुबह मानव अपने स्टेशन पर उतर जाता है। मानव बाहर खिडकी से आवाज लगाता है। मैडम चाय पिएंगी ! महिला कम्बल को भींचते हुए कहती है। नही इटस ओके । तुम पी लेना। गाडी फिर से रफतार पकड लेती है।
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मैं आ रहा हूं ... #imamdasta

  जो सिनेमा हमारे नज़दीक के थिएटर या ओ टी टी प्लेटफार्म पर पहुंचता है । वह हम दर्शकों को तश्तरी में परसा हुआ मिलता है । 150 से लेकर 600 रुपए...