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शुक्रवार, 8 दिसंबर 2017

आर. जे. बी. के सदके एक और शहादत !

आर.जे.बी. नाम से शायद आप परिचित नही होंगे। पर प्रभु श्री राम की जन्म भूमि अजोध्या में तैनाती पर आए सिपाही के ज़ुबान पर यह नाम जिंदगी भर के लिए टँक जाता है। आर.जे.बी का मतलब राम जन्म भूमि। प्रभु श्री राम अपने ही जन्म स्थल पर न्यायिक हिरासत में हैं। इस हिरासत में केवल वो ही नही हैं, उनके हज़ारों प्रिय भक्त भी हैं जो उनके दर्शन को व्याकुल रहते हैं, और वो भी जो इस हिरासत की तामील कराने में ड्यूटी पर मुस्तैदी से तैनात रहते हैं। आर.जे.बी के एक रक्षक जो कि खुद कैद में रहता है, उसने अपने आप को मुक्त कर लिया। आज उसने प्रभु श्री राम के परम भक्त हनुमान के राजदरबार में आत्म हत्या कर ली। उसने एक तरफ अपनी जान देकर आंतरिक पुलिसिया उत्पीड़न का प्रतिरोध दर्ज करवाया, तो दूसरी तरफ आर.जे.बी की मजबूरियों को उजागर किया। बहुत सी शहादत बेआवाज़ होती हैं। उसकी शहादत को शायद ही कोई सलाम करे।
       एक युवा सिपाही की देंह हनुमान गढ़ी के ठीक पीछे किराए के कमरे में लटकी पाई गई।उसके साथ काम करने वाले पुलिस विभाग के ही सिपाहियों ने बताया कि वो पिछले कुछ दिनों से अवसाद में चल रहा था। वो हापुड़ के गढ़मुक्तेश्वर का रहने वाला था। हाल ही में उसकी तबियत ख़राब हुई, अस्पताल में 2 दिन भर्ती रहा, और फिर ड्यूटी पर सुबह 9 से 5। कुछ ने बताया कि पिछले डेढ़ महीने से आर.जे.बी की सभी छुट्टियाँ रद्द कर दी गईं। आज उसके 19 नंबर के कमरे के बाहर पुलिस मोहकमे का तांता लगा रहा। वहाँ आने वाले हर पुलिस वाले के पास कहने के लिए बहुत कुछ था, वो चीखना चाहते थे, चिल्लाना चाहते थे। पर वो उस मुक्त होने से बुरे अंजाम से ख़ौफ़ज़दा थे। पत्रकारों को देख कर उनके कान में फुसफुसा देते कि सर खबर में सच कह दीजियेगा। सुबह के अखबारों में जरूर लिख दीजियेगा कि उसने लगातार ड्यूटी और छुट्टी न मिलने से आत्महत्या कर ली। मौके पर मौजूद सिपाही और बड़े अफसरों के बीच की कड़ी फोन पर जी सर जी सर कहते रहे। बीच बीच में कहते "सर वो घर से दूर था". जाहिर सी बात है, मामला पुलिस विभाग के आंतरिक कमियों का था। सहेज कर हर काम करना था। पर सब ठीक हो जाएगा।
          आर.जे.बी में वो खज़ाना गड़ा है, जिसकी रक्षा के लिए इस देश के नागरिकों का लाखों रुपये रोज़ खर्च होता है। आर.जे.बी वो महत्वपूर्ण जगह है, जहाँ देश दुनिया की नजरें गड़ी रहती हैं। आर.जे.बी वो रण है जिसपर मीडिया वालों के सट्टे लगते हैं। आर.जे.बी वो इतिहास है, जिसे भविष्य बनाया जाता रहेगा। आर.जे.बी इस देश के करोड़ों लोगों की पेट की भूख है। आर.जे.बी को वजूद में रखने के लिए हम हज़ारों शहादतें बर्दाश्त कर सकते हैं। आर.जे.बी की शहादतें अपनी अपनी किस्म की हैं। आर.जे.बी को अपने पाले में कर लेने वाली शहादत, आर.जे.बी को महफूज़ रखने की शहादत, आर.जे.बी की राजनीति में जीवन खपा देने वाली शहादत, आर.जे.बी की रौ में सत्ता की शहादत। पता नही कितनी तरीके की शहादत आर.जे.बी के सदके के लिए तैयार हैं। आर.जे.बी वैकुण्ठ धाम है।

बुधवार, 6 दिसंबर 2017


अपना ईश !

जब समाज सोख लेता है सारे रंग
रह जाता, गेरुआ धवल अशेष
मन, तन के पार इच्छाएं
ढूँढ लाती हैं अपना ईश !


मैं आ रहा हूं ... #imamdasta

  जो सिनेमा हमारे नज़दीक के थिएटर या ओ टी टी प्लेटफार्म पर पहुंचता है । वह हम दर्शकों को तश्तरी में परसा हुआ मिलता है । 150 से लेकर 600 रुपए...