कुल पेज दृश्य

बुधवार, 6 दिसंबर 2017


अपना ईश !

जब समाज सोख लेता है सारे रंग
रह जाता, गेरुआ धवल अशेष
मन, तन के पार इच्छाएं
ढूँढ लाती हैं अपना ईश !


कोई टिप्पणी नहीं:

जाती हुई मां ...

प्रिय मां ,  मां तीसरा दिन है आज तुम्हे गए हुए । तीन दिन से तुम्हारी आत्मा को शांति देने के लिए न जाने कितने प्रयत्न कर लिए हमने । पर तुम्हा...