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मंगलवार, 28 जुलाई 2020

बारिश आंसू प्रेम !

बारिश आके जा चुकी
आंसू अब भी अटका

बाढ़ का समाचार 
बादलों में लटका 


साफ आसमान
सोंधी मिट्टी में लिसा तन
तल , ऊपर देखता

हारता जीतता
ड्योढ़ी लांघता दुख
टूटता आंखों से
गिरता बूंद बूंद
गली गलियारों  में

छाती पर कन्धों तक 
खड़ी फसल 
छोड़ती सूत तक ना 
मन लिपट कर 
धरती की छाती से 
पानी पानी होता 

न जाने कहाँ से 
आस  की पौध उगती रहती 
 खरपतवार की तरह  

प्रेम से छल जो जाता है
हर बार कोई
बारिश , आंसू प्रेम बनकर !

सोमवार, 13 जुलाई 2020

अनाम !







मेरी देहरी पर गिरा शख्स
मैं ही था, और कोई नहीं
उठा, झाड़ा और
पार कर गया देहरी !

मेरा दोष था
मैंने ही देहरी
ऊंची रखवाई

खिड़कियों को
दरवाज़ा समझाया
गली कुंचों को फब्तियां
बाहर के भीतर को आंगन

वो जो गिर के
संभला मैं वो नहीं
वो तुम हो !

भरोसे की कतरनों को
सीती तुम
कौन हो ?

रविवार, 12 जुलाई 2020

पानी पढ़ना !







भीतर जब बेचैनी हो
पानी पढ़ना !
झीने कपड़े , फटी निकरिया
पानी पढ़ना !
आसमान से बरसे हर्फ
पानी पढ़ना !

शुक्रवार, 10 जुलाई 2020

बारिश !












तुम्हे भीगना अच्छा लगता है ना ?
कितनी एक सी चाह है
हमारी !
और भली भी
बारिश भीगना !

मैं अपना भीगना जानता हूं
इसलिए तुम्हारा भी कुछ कुछ
एक लंबी भूख के बाद
थक हार के ढीले पड़े
पसीना पीते
बदन खारे हो जाते हैं !
उसी वक़्त
बारिश की ठंडी बूंदें
देंह के रुधिरों को
भेदते आत्मा तक पहुंचती !

जैसे धुल गए हों
तमाम सारे रोग,
इच्छाएं और मन के मैल !

शुक्रवार, 3 जुलाई 2020

बारिश !












मुक्त छंदों में गुंथें शब्द
तैरते कोरे कागज़ पर

बारिश की कोई नटखट बेल
चढ़ती खड़ी दीवार पर

टप टप टपकती
नेह ओस बन कर

मेघों का सौंदर्य
रच गया धरती पर

कोमल उंगलियों के स्पर्श ने
मानो धरा को
भर दिया
सौंदर्य बोध से !

मैं आ रहा हूं ... #imamdasta

  जो सिनेमा हमारे नज़दीक के थिएटर या ओ टी टी प्लेटफार्म पर पहुंचता है । वह हम दर्शकों को तश्तरी में परसा हुआ मिलता है । 150 से लेकर 600 रुपए...