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गुरुवार, 9 नवंबर 2023

प्रिय तुम !



जब तुमने जन्म लिया था । तो तुमको बहुत देर छूने से गुरेज़ करता रहा । बहन ने रख दिया था । तुम्हे मेरे हाथों में । अपनी पतले हाथों की हड्डियों पर मैं तुम्हे महसूस कर रहा था । मुझे डर लग रहा था । मेरे हड्डियों वाले हाथ तुम्हे कहीं तकलीफ न दे।  मैं तुम्हे टेलीफोन की उन तरंगों से बचा लेना चाहता था । जो लगातार मेरे मोबाइल में बज रहा था । मुझे याद है । तुम्हे मैने कई घंटों बाद छुआ था । 

तुम्हारी तस्वीर कहीं होगी । पर मेरे दिमाग में उस चित्र की कोमलता महसूस होती है हमेशा । 

इन दिनों तुम कई मोर्चों से लड़ रहे हो । क्रिकेट वाला मोर्चा सबसे कमज़ोर पड़ जाता है । पढ़ाई में तुम्हारा मन नहीं लगता । ये बात कुछ तकनीकी पचड़े में पड़ के नेपथ्य में जाती रही है।  

मुझे अफसोस है । कि मैं तुम्हारी डायरियां चुपके से पढ़ लेता था । फिर भी मैं तुम से सामंजस्य नहीं बैठाल पा रहा हूं। शायद यही कारण हो । तुम्हे तुम्हारी मन की बात जान कर उस पर तीखी प्रतिक्रियाएं तो दी हैं । बगैर तुम्हे जताए कि मैं तुम्हारी डायरी पढ़ता हूं ।

तुम्हारी हर झूठ के पीछे मै अपने भीतर टटोलने लगता हूं।  अपने आस पास के वातावरण को देखने लगता हूं।  तुम बहुत तेज़ी से बड़े हो रहे हो । तुम बड़े हो रहे हो । इस बात का एहसास हम हमेशा तुम्हे कराते रहते हैं।  पुरुष होने के नाते मैं तुम्हारे शरीर में हो रहे बदलावों को महसूस करता हूं।  तुम्हारी मनः स्थिति कुछ कुछ समझ आती है । समय का बीतता हर लम्हा तुम अपनी मुठ्ठी में गेंद बना कर खेलना चाहते हो । मुझे तुम खेलते हुए बहुत सुंदर लगते हो।  मेहनत करते हुए । अपने हम उम्र के साथ दौड़ते भागते हुए । कुछ बंदिशों को तो शाम का एक घंटा भी बहुत हल्का लगता है । 

तुम्हारी ट्रेन की दिवानगी देखी है मैने । महसूस की है बहुत । तभी मैं पिछले कुछ सालों से स्टेशन , ट्रेन , आती जाती आवाज़ें , रेल का एक लंबा सफर मिस करता हूं । तुमने तो बहुत किया होगा । तुम्हारे जन्म का समय हमारे सबसे खराब दिनों में पूरे परिवार को बांधे रखा है । एक बड़े से परिवार का टूटना जड़ों को हिला देता है ।  उस हिलते , डुलते हिंडोले में कोरोना । तुम बढ़ते हुए रोज कई कहानियों से गुजर रहे होते हो।  मम्मा की , पापा की , दादा दादी की । और चाचा ताऊ अंतहीन रिश्तों की कहानियां तुम्हे सुनाई देती होंगी । उन कहानियों में तुम्हारे कानों ने क्या सुना होगा । वो केवल तुम ही जानते पहचानते होगे।  

हमारे समाज में पिता के सामने बोलना , मां के सामने बोलना और बड़ों से बात करना बहुत सिखाया जाता है । चौबीस घंटे में हर बड़ा कुछ न कुछ नसीहते दे रहा होता है । डांट से , मार से , भय से बाहुबल से तुम्हे दबाने की कोशिश कर रहे होते हैं हम । प्यार की आड़ में । तुम्हारे ख्याल के सार्टिफकेट तुम्हे दिखाते । 

मैने भी कई बार आपा खोया है । तुम्हारे शरीर पर मेरे बल के निशान बहुत समय तक मेरी देह को महसूस होते हैं ।हम सब अपने अपने हारने की खीझ को कहीं न कहीं जाया कर रहे हैं । तुम्हारी ऊर्जा का जवाब हमारे किसी के पास नही है । 

तुम्हारे किशोरावस्था में प्रवेश का दिन तारीख तो नही निश्चित है । पर कहीं से तो तय करना पड़ेगा । तुम्हारे जन्मदिन के तोहफे के रूप में तुम्हे कुछ ऐसा दे पाऊं । जो मेरे तुम्हारे बीच के वात को भर पाए । 

मैं हमेशा सोच में रहता हूं । कि तुम से अपने दिल की बातें साझा करूं । पर नही हो पाता । शायद तुम भी कहीं न कहीं अपने पापा को मिस करते होगे।  मैं तुम्हारा बचपना बहुत मिस करता हूं । तुम मुझसे बच्चे बन के कई सारी बातें मनवा लेते हो । पर मैं तुम्हारा बड़ा होना महसूस कर पा रहा हूं। 

तुम्हारे बड़े होते कदमों में कदम ताल कर के हम कोशिश करें अपने स्थापित मापदंडों को पर रख कर । मुझे मालूम है अच्छे जीवन के लिए प्रेम होना जरूरी है । प्रेम से स्फुटित तमाम धाराएं संयोजित होती हैं । मैं भी अभी तुम्हे अपना दोस्त तक न बना पाया । दोस्ती हो तो प्यार हो । 

मैं खुद को अभी इतना बड़ा नही मानता । कि तुम्हे कहूं कि तुम ये बनो , वो बनो । तुम्हारी रुचियों को मैं सुनने की कोशिश करता हूं । उन्हें पुष्पित पल्लवित करने की सोचता हूं । 

बच्चे जो बड़े होने की दहलीज़ को छू रहे हों । उन्हें कंधों की जरूरत होती है।  कंधों की जगह क्रोध से भरी आंखें मिले तो वो क्यों कर महसूस करें ।

मैं तुम्हारे 12 वें जन्मदिन पर हर बार की तरह कुछ नही दे पा रहा हूं । मैं कोशिश करूंगा तुम्हे एक डायरी भेंट करूं ।  कुछ किताबें और लाकर दूं । एक ट्रिप कहीं लंबी ट्रेन वाली उड़ चलें हम साथ । जीवन के मोती चुनने । एक क्रिकेट किट तुम्हे उपहार दे सकूं । 

और सच पूछो । जो किताबें तुम्हारे पास हैं । उन्हें गुरु बनाने के मौके मत छोड़ना । 

तुम्हारे लिए खत लिखना मुझे अच्छा लग रहा है । मैं इस बहाने खुद को टटोल लेता हूं । 


मैं आ रहा हूं ... #imamdasta

  जो सिनेमा हमारे नज़दीक के थिएटर या ओ टी टी प्लेटफार्म पर पहुंचता है । वह हम दर्शकों को तश्तरी में परसा हुआ मिलता है । 150 से लेकर 600 रुपए...