कुल पेज दृश्य

मंगलवार, 12 मई 2015

अज्ञात !



एक तपती दोपहरी में खेत में काम कर बूढा किसान चिल्लाता है “अरे सुनो क्या कर रही हो वहाँ ?.... कुछ छड बाद वो खेत के दुसरे छोर की तरफ तेज़ी से भागता है, दुसरे छोर पर पहुच एकदम से खड़ा हो जाता है, तेज़ आंधी की तरह ट्रेन पटरी से गुजरती है, कुछ देर पहले मुहं से लेकर पाँव तक साडी से ढकी एक आकृति अचानक ट्रेन के साथ उसी वेग से उड़ने लगती है.. उस आकृति की हरी साडी मानो ट्रेन को बिना रुके दौड़ने को कह रही हो, किसान पत्थर हो जाता है, लेकिन उसकी आँखे, ह्रदय उस हरी साडी का दूर तक पीछाकरती हैं, अचानक वह पत्थर से मोम हो जाता है... फिर वह अपने घर की तरफ उसी रफ़्तार से दौड़ने लगता है, घर में चौके में बैठी अपनी सयानी बेटी से जा लिपटता है उसका शरीर काँप रहा है उसका खून पटरियों पर पड़ा सुख रहा है...और ह्रदय गति ट्रेन का पीछा कर रही है.... पड़ोस के ही किसी घर में भी मातम जैसा माहौल है....शाम को सूचना पाकर दरयाफ्त के लिए निकटवर्ती थाने की पुलिस गाँव में आती है, पुलिस को न ही किसी के गुमशुदा होने की और न ही किसी क्षति के सुबूत मिलते हैं... पुलिस वापस चली जाती है...देर शाम पास के ही सीमा रहित रेल फाटक पर बने केबिन में अज्ञात के ट्रेन के निचे आने का मेमो भरा जाता है....

मैं आ रहा हूं ... #imamdasta

  जो सिनेमा हमारे नज़दीक के थिएटर या ओ टी टी प्लेटफार्म पर पहुंचता है । वह हम दर्शकों को तश्तरी में परसा हुआ मिलता है । 150 से लेकर 600 रुपए...