टेढ़ी रीढ़
सोखता हो चुकी धमनियों का
एक ढांचा
असहमतियों की गुंजाइश को
खारिज़ करता है
इक उम्र झुर्रियों से पहले
चूर हो जाती है
अहम के सारे जीवाणु
पतले होते हैं
पुरानी भित्तियों के साँप
लौटते रहते हैं
असहमति के साथ कुछ दूर
चलना सिखाया नही जा सकता
चलना, चश्मदीद
ही होता है
लिपटे कदमों के निशान
नही मिलते
सहचरों के कदमताल
से लेकर आगे बढ़ जाने तक
ढाँचा कंपित होता है
रोज़ कोरों से रिसते हुए खारों से
फुसफुसी हड्डियों के दर्द से
पिलपिली यादों के दलदल से
भला कौन बच पाया है
जो तुम बचोगे !
तुम ढाँचा हो !
गिर जाओगे ।
देखने को अब बचा ही क्या है
जो तुम देखोगे !
सोखता हो चुकी धमनियों का
एक ढांचा
असहमतियों की गुंजाइश को
खारिज़ करता है
इक उम्र झुर्रियों से पहले
चूर हो जाती है
अहम के सारे जीवाणु
पतले होते हैं
पुरानी भित्तियों के साँप
लौटते रहते हैं
असहमति के साथ कुछ दूर
चलना सिखाया नही जा सकता
चलना, चश्मदीद
ही होता है
लिपटे कदमों के निशान
नही मिलते
सहचरों के कदमताल
से लेकर आगे बढ़ जाने तक
ढाँचा कंपित होता है
रोज़ कोरों से रिसते हुए खारों से
फुसफुसी हड्डियों के दर्द से
पिलपिली यादों के दलदल से
भला कौन बच पाया है
जो तुम बचोगे !
तुम ढाँचा हो !
गिर जाओगे ।
देखने को अब बचा ही क्या है
जो तुम देखोगे !
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