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शुक्रवार, 25 अक्तूबर 2013

चुप रहो,चुप रहने में ही समझदारी है,
न जाने कौन सी बात बतंगड़ बन जाए।
बेवजह बात होती है पत्थर कि तरह,
कही पत्थर से समुन्दर सुनामी न बन जाए।।
.........................................प्रभात सिंह 

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