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सोमवार, 7 नवंबर 2016

कि ज़िन्दगी थमी सी है


छोड़ देता हूँ मैं वो सब
जिसका मैं इंतज़ार करता हूँ

स्टेशन पर गाड़ियों का इंतज़ार करके
जाने देता हूँ उन्हें आँखों के सामने से

बेसाख़्ता भागते भागते दिन भर
मैं रात का साथ छोड़ देता हूँ

रात बेसब्र सीले बिस्तर से गुजर
मैं सुबह का साथ छोड़ देता हूँ

छोड़ता, छोड़ता आती आती ज़िन्दगी
मैं ज़िन्दगी से उम्मीद छोड़ देता हूँ

बड़ा लंबा है और गाढ़ा भी तेरा इंतज़ार
कि अब ज़िन्दगी थमी सी है





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