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आधा चुप आधा बुत !

काम का भूखा हूँ पैसों से सूखा हूँ  आधा चुप आधा बुत घूमता फिरता हूँ मैं बाज़ार में बेंचता अपना  माल और हुनर  इनसानियत की आड़ में  बहुत कुछ दे आ...