हम्म !
जब से तुम
मर गयी हो,
तबसे
मैं तुम्हें जीने लगा हूँ
तुम वाकई
मर गई हो न ?
फिर, मैं ज़िन्दा कैसे !
जब से तुम
मर गयी हो,
तबसे
मैं तुम्हें जीने लगा हूँ
तुम वाकई
मर गई हो न ?
फिर, मैं ज़िन्दा कैसे !
आवाज़ देता हूँ तो कोई आवाज़ आती नहीं पलट कर मेरे पास आवाज़ ढूंढती है मुझे और मेरे कानों को मैं छिपता फिरता भागता जा पहुचता हूँ कोलाहल म...
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