हम्म !
जब से तुम
मर गयी हो,
तबसे
मैं तुम्हें जीने लगा हूँ
तुम वाकई
मर गई हो न ?
फिर, मैं ज़िन्दा कैसे !
जब से तुम
मर गयी हो,
तबसे
मैं तुम्हें जीने लगा हूँ
तुम वाकई
मर गई हो न ?
फिर, मैं ज़िन्दा कैसे !
काम का भूखा हूँ पैसों से सूखा हूँ आधा चुप आधा बुत घूमता फिरता हूँ मैं बाज़ार में बेंचता अपना माल और हुनर इनसानियत की आड़ में बहुत कुछ दे आ...
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