आठ बजे !
भीतर के बच्चे ने
शाम होते ही कुलाँचे भरना
शुरू कर दिया
शाम के साथ साथ
उसकी आँखों का डर जाता रहा
खेल खेल में
अपने भीतर की आग को
दबाता है
आग कई बार दावानल
होने से रह जाती है
शाम और गाढ़ी और गाढ़ी
शाम की शराब के शीशे से
ट्यूबलाइट की रोशनी
बादामी हो जाती है
रोज़ शाम को
बच्चा बाल्यावस्था से
युवा तो कभी प्रौढ़
तो महिला होता है
भीतर
काली स्क्रीन पर रंगारंग कार्यक्रम
सच बोलूँ तो
18 घण्टे
चलता है ।
भीतर के बच्चे ने
शाम होते ही कुलाँचे भरना
शुरू कर दिया
शाम के साथ साथ
उसकी आँखों का डर जाता रहा
खेल खेल में
अपने भीतर की आग को
दबाता है
आग कई बार दावानल
होने से रह जाती है
शाम और गाढ़ी और गाढ़ी
शाम की शराब के शीशे से
ट्यूबलाइट की रोशनी
बादामी हो जाती है
रोज़ शाम को
बच्चा बाल्यावस्था से
युवा तो कभी प्रौढ़
तो महिला होता है
भीतर
काली स्क्रीन पर रंगारंग कार्यक्रम
सच बोलूँ तो
18 घण्टे
चलता है ।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें