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शनिवार, 30 जून 2018



तुम्हारी यादों के तार
तुम्हारी यादों के सन्दूक से
मुझे कुछ तार मिले
उन सैकड़ों वर्षों से जिये हुए
पलों के तार
उन्हें निकाला,धोया,पोछा
तार चमकने लगे

सैकड़ों वर्षों का जिया
थोड़ा नही होता
याद का सन्दूक जितना बड़ा हो
छोटा पड़ जाता है

तुम्हारे "न" का सम्मान था वो
जिए हुए को मोड़ मोड़ के
रखना पड़ा
एक सन्दूक में

आज सैकड़ों वर्षों बाद
फिर से वो तार चमकें हैं
तार का टूटना जारी है
उन मोड़ों से
जहाँ से मोड़े गए थे।

उस तार का नाम सुना है ?
"संगीत"
जितने टूटे तार
उतना मधुर " संगीत "
तुम्हारा "संगीत" !

तस्वीर - भोपाल के जंगल की

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