आओ कोई तस्वीर निकालें
थोड़ा पास आओ
मुस्कुराओ
थोड़ा और...
थोड़ा सा और
बस बस इतना ही
क्लिक...!
बाबा यहां बैठो
खेत सूखा है यहां
ऊपर देखो दहकता सूरज
दायां हाँथ माथे पर
बस बस ऐसे ही
क्लिक...!
लड़की की माँ कहाँ है ?
पास बैठालो बेचारी के
बलात्कार है न ये
बाकी सब थोड़ा किनारे
बस बस ठीक है
क्लिक...!
उम्म...सड़क जाम !
न न इस बार
बस फूंक दो
वरना फ्रंट पेज तय नही
छिछ...छिछ शुरू हो जाओ (इशारों में)
बस बस तैयार हैं हम
क्लिक...!
नेता जी
सीढ़ियों पर ही रहें
समर्थक जिंदाबाद
नेता जी, विक्ट्री साइन...वी...वी
बस बस परफेक्ट
क्लिक...!
#विश्व फोटोग्राफी डे पर, फोटो जर्नलिस्ट की डायरी ।
तस्वीर : प्रभात सिंह
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