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बुधवार, 23 अगस्त 2017

मम्मा.....पापा की रेल टूट जाएगी क्या ?

4 साल का बच्चा बीती शाम से ही विचलित था, मैं अक्सर ट्रेन से लखनऊ और हरदोई के बीच यात्रा करता हूँ। लिहाज़ा  वह मां से बार बार सवाल करता "पापा की रेल टूट जाएगी", माँ कहती नही टूटेगी, इस सवाल का पीछा करता दूसरा सवाल , क्या पापा की ट्रेन प्लास्टिक की है ? बच्चे के लिए इस दुनिया में प्लास्टिक सबसे मजबूत द्रव्य है। माँ उत्तर देती है नही रेल लोहे की होती है, इसलिए नही टूटेगी। बच्चा फिर सवाल करता है लोहे की है फिर कैसे टूट गयी रेल....मम्मा....? बच्चे के दिमाग में टीवी, अखबार में रेल के आड़े तिरछे डिब्बों की तस्वीर नाच रही है, और उन तस्वीरों में उसका पापा दबा कहीं फंसा पड़ा है, यह दृश्य उसके गले में फंसा उसका गला बैठाए दे रहा है। देर रात जब घर पहुंचा तो पता चला उसकी बेचैनी...बताया गया कितनी मुश्किल से वो सो पाया। ऐसे ही न जाने कितने बच्चों की नींदें उड़ी होंगी, कितनी माओं को झूठ का सहारा लेना पड़ा होगा। पर हादसों का क्या...आंखें भी खोलते हैं, और कमियों पर पर्दा डालने की हिम्मत भी दे देते हैं।
     मानस रेल के लिए बचपन से ही दीवाना है, मुझे डर है कि हादसों की तस्वीरें उसके दिमाग में रेल के लिए नफरत न पैदा कर दें। एक जहाज लिया था परसों...अपनी ऑफिस टेबल पर रखने को,सोचा बच्चे को दूंगा। रेल की टूटी तस्वीर से दिमाग हटेगा। जब उसको जहाज दिया...उसका पहला सवाल था, पापा ये जहाज प्लास्टिक का है ? मैंने कहा लोहे का।

एक माह में दो रेल हादसों के बाद।

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