लोहे की चमड़ी
भावुक मन
खुर हो चुके पैर
जानते नहीं पीर
प्रीत की रेत में
तपना खरा होना है।
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कोई है जो इन दिनों तितलियों के भेष में उड़ाती रंग पंखों से कोई है जो इन दिनों बारिशों के देश में भिगाती अंग फाहों से कोई है जो इन दिनों ...
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