लोहे की चमड़ी
भावुक मन
खुर हो चुके पैर
जानते नहीं पीर
प्रीत की रेत में
तपना खरा होना है।
एक टिप्पणी भेजें
फिर झुंझलाकर मैने पूछा अपनी खाली जेब से क्या मौज कटेगी जीवन की झूठ और फरेब से जेब ने बोला चुप कर चुरूए भला हुआ कब ऐब से फिर खिसिया कर मैन...
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें