तुम्हारी छांव की ठंढक
तुम्हारी साँस का जलना
तुम्हारी याद के डैनों में
दराजें उम्र की होना
नज़र से देख भर लेना
कहानी बाल से लिखना
तुम्हारी जिद्द का वो कोना
वफ़ा -ए- हिज़्र में रोना
बने किस चीज़ के तुम
भरा कैसा रसायन
धरा की नाक के नीचे
फले फूले तन मन ।
एक बड़ी संस्था के ऑफिस टेबल के नीचे ठीक बीचों बीच एक पेन तीन दिन पड़ा रहा ऑफिस में आने वाले अधिकारी , कर्मचारियों की रीढ़ की हड्डी की लोच...
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