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शनिवार, 6 फ़रवरी 2021

पाकड़ !

 तुम्हारी छांव की ठंढक

तुम्हारी साँस का जलना



तुम्हारी याद के डैनों में

दराजें उम्र की होना


नज़र से देख भर लेना

कहानी बाल से लिखना


तुम्हारी जिद्द का वो कोना

वफ़ा -ए- हिज़्र में रोना


बने किस चीज़ के तुम 

भरा कैसा रसायन 

धरा की नाक के नीचे

फले फूले तन मन ।

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