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शुक्रवार, 7 अप्रैल 2017

"रेसेपी में तुम्हारा रूमान"

मुझे मालूम है तुम्हे हरा पसंद है, पर मुझे लाल। पसंदगी और ना पसंदगी के बीच गहरी खाई है, फिर भी रंग तो रंग है, पसंद तो पसंद है...! तुम्हारे हरे यानी न रुकने को मैंने स्वीकार किया है, मेरे लाल यानी तुम्हारे इंतज़ार में मेरा ठहर जाना मेरी जरुरत है। चुनावी मौसम में सारे रंग लोगों के सर चढ़ के बोल रहे हैं, पर मैंने हमारे रंग को उन रंगों से महफूज़ रखा है, मुझे पक्का यकीन है बाकी सब रंग उतर जाने या एक दूसरे के ऊपर चढ़ जाने के लिए हैं, पर हमारा रंग एक दूसरे में ढल जाने वाला है। हरी शिमला मिर्च न सही हरी सेम की फली ही सही, और हरी तश्तरी भी । चुकंदर का लाल, गाज़र टमाटर का गुलाबी खूब फब रहा है। स्वाद का न पूछो, कभी कभी हरे और लाल की टकराहट में सफ़ेद शान्ति का नज़र बट्टू सिद्ध होता है। सफ़ेद घी से टकराहट की गुंजाइश कम हुयी होगी शायद। रंग और स्वाद बिल्कुल अलहदा है। 4 बाई 8 के कमरे में कुछ इस तरह कम ही पकता है, पर जब पकता है तो दाना दाना, स्वाद स्वाद तुम्हारे रूमान से भरा होता है।

** ख्याली पुलाव **

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