कुल पेज दृश्य

शनिवार, 1 अप्रैल 2017


मैं जलना चाहता हूँ
उच्च ताप से नहीं, आग में भी नहीं
मैं भीगना चाहता हूँ
आँखों से नहीं, बारिश में भी नहीं
मैं जम जाना चाहता हूँ
स्थिर साँसों से नहीं, हिमपात में भी नहीं
मैं बचना चाहता हूँ,
मृत्यु से नहीं, जीवन में भी नहीं
तुम
सुन रहे हो न !

कोई टिप्पणी नहीं:

ईद मलीदा !

मैं गया था और  लौट आया सकुशल बगैर किसी शारीरिक क्षति और धार्मिक ठेस के  घनी बस्ती की संकरी गलियों की नालियों में कहीं खून का एक कतरा न दिखा ...