संभालना एक छोर कोई
कोमल हांथों से
लकीरें मिटने तक
मरी हुई लकीरें
हाँथ छुड़ा लेती हैं।
चलना एक राह कोई
आहिस्ता कदमों से
मंजिलें गुम होने तक
फिसलती रेत
तलुओं में चिपक जाती हैं।
रजना रंग में कोई
उम्मीदों के फूलों से
रंग बे-रंग होने तक
रंगों की अपनी
सीमाएं होती हैं।
लिखना भाषा में कोई
पनीले अक्षरों से
सैलाब आने तक
बहुत खारे से अब
आँखें सुलगती हैं।
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