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बुधवार, 29 जून 2022

मौसम था वो !


मौसम था वो 
देखा नही ?
कैसे कहूं 
भुला नहीं !

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राह कटे संताप से !

फिर झुंझलाकर मैने पूछा अपनी खाली जेब से  क्या मौज कटेगी जीवन की झूठ और फरेब से  जेब ने बोला चुप कर चुरूए भला हुआ कब ऐब से  फिर खिसिया कर मैन...