बहुत बाद
बड़ी देर
ठहर कर
इक बूंद
टप्प से
गिरी राख पर
बादल के दल
उमड़ घुमड़
धरते पांव
ठहर ठहर
मन मीत
की बात
कहे न कहे
मन प्रीत
से ज्योति
जलाए पड़े ।
भारत का नागरिक होने के नाते मैं और मेरी नागरिकता मुझसे सवाल नहीं करती मैं हिन्द देश का नागरिक हिंदू परिवार का हिंदुस्तान यूं ही नहीं बना म...
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