बहुत बाद
बड़ी देर
ठहर कर
इक बूंद
टप्प से
गिरी राख पर
बादल के दल
उमड़ घुमड़
धरते पांव
ठहर ठहर
मन मीत
की बात
कहे न कहे
मन प्रीत
से ज्योति
जलाए पड़े ।
एक बड़ी संस्था के ऑफिस टेबल के नीचे ठीक बीचों बीच एक पेन तीन दिन पड़ा रहा ऑफिस में आने वाले अधिकारी , कर्मचारियों की रीढ़ की हड्डी की लोच...
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