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बुधवार, 15 जून 2022

मीत !

 


बहुत बाद 

बड़ी देर 

ठहर कर

इक बूंद

टप्प से

गिरी राख पर 


बादल के दल

उमड़ घुमड़

धरते पांव

 ठहर ठहर


मन मीत

की बात

कहे न कहे

मन प्रीत 

से ज्योति

जलाए पड़े ।

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