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रविवार, 10 मई 2020

उदास मौसम की चिट्ठियां
















उदास मौसम की चिट्ठियां
बन्द  हैं लिफाफों में
पतों पर लिखा  " यहाँ सब ठीक ठाक है "
नाम की जगह "अपना ख्याल रखना " .


महामारी के संक्रमण काल में
संपर्क की मनाही है
दूरियां , वक़्त की मांग है 
बन्द कमरों का उदास मन
साइक्लोजिकल डिसआर्डर से बचता
रोज चिट्ठियां लिखता है .


एक अरसे से डाकखाने बन्द हैं
डाकिये , दवाखानों में व्यस्त हैं
लिफाफों से पत्र पेटियां भर चुकी हैं
लाचारी  के दौर  में
उदास मन
और क्या लिखता भला ?


जो लिख रहा है , वो बच रहा है
जो पढ़ पा रहा है,  वो बच रहा है
जो लिखना पढना नहीं जानते
वो मर रहे हैं .


उजाड़  मन
निकल चुके हैं
लम्बी, अंतहीन यात्राओं पर
पुलिसिया पूछताछ से छिदते
कालकोठरी में समय हारते
धरती पर रेंगते 
पहुचते हैं 
एक और
उदास मौसम में .


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