मन पहले भी था पार प्रिये
मन आज भी है चीत्कार प्रिये
तुम कह दो तो संसार तजूं
तुम कह दो तो मझधार चुनूं
मन आज का न जंजाल प्रिये
मन भीतर बाहर सवाल प्रिये
तुम कह दो तो रस मोह पियूं
तुम कह दो तो बस टोह धरुं
मन धीर तुम्हारे धीश प्रिये
मन व्याकुल चंचल शीश प्रिये
तुम कह दो तो परवान चढूं
तुम कह दो तो पतवार बनूँ
मन बना बनाया राग प्रिये
मन सावन ,भादंव, फाग प्रिये
तुम कह दो तो कोई गीत बनूँ
तुम कह दो तो मन मीत बनूँ !
मन पहले भी था पार प्रिये
मन आज भी है चीत्कार प्रिये !

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