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रविवार, 27 सितंबर 2020

समाधान समस्या नहीं !


समाधान का काम 

समस्या से जटिल है

कहीं तो पीढ़ियां खप जाती

कहीं जन्म लेता बचपन

मुंह फेर लेता

शिकन माथे की

त्योरियां हो जाती 

बरसने को तैयार 

कारोबार 

यकीन नहीं करता


हम सब लोग ही तो हैं !

बड़े छोटे

ऊंचे नीचे


आपस में बात करना

चीन की दीवार होना

समन्दर में चांद होना

कोई मुश्किल नहीं है 

और न ही

बच्चे का 

ए से ज़ेड पढ़ना !


मैं सोचता हूं

बूढ़ा हो चला हूं

देह लुजगुन

पलट जाती है

कुछ ठोस

सुझाई नहीं देता 

पर हां 

वक़्त परिश्रम से

चलता है 

श्रम की गुंजाइश न हो

तो दिमाग से 

संसाधन को मानव 

साधन 

बन जाने दो !



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