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गुरुवार, 10 सितंबर 2020

मैं नहीं मानता !








मैं नहीं मानता आतताई व्यवस्था को

ठग पुलिस को ,

कुटिल जन प्रतिनिधि को

चौराहों पर खड़े गुंडों को ,

घरों में पड़े मुस्टंडों  को


मैं नहीं मानता ईश्वरीय मान्यताओं को

बंधन में बंधे रिश्तों को, 

पितृसत्तात्मक ढांचों को , 

रूढ़ियों की किरचों को


मैं नहीं मानता अपनी देह को

आती जाती सांसों को , 

चक्रव्यूह में फंसते मन को

अपने अकेलेपन को !


मैं मानता हूँ 

समस्याओं के जड़ में बैठे 

समाधानों को 

कर्म को , प्रकृति को 

सायास सरल रिश्तों को 

और मृत्यु को ! 

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