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मंगलवार, 15 सितंबर 2020

वो कहीं ...

 वो कहीं डर के छिपे है

मेरी किस्मत की तरह ...

बात दो बात की हामी

मेरी फितरत ही कहां...

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राह कटे संताप से !

फिर झुंझलाकर मैने पूछा अपनी खाली जेब से  क्या मौज कटेगी जीवन की झूठ और फरेब से  जेब ने बोला चुप कर चुरूए भला हुआ कब ऐब से  फिर खिसिया कर मैन...