वो कहीं डर के छिपे है
मेरी किस्मत की तरह ...
बात दो बात की हामी
मेरी फितरत ही कहां...
एक टिप्पणी भेजें
भारत का नागरिक होने के नाते मैं और मेरी नागरिकता मुझसे सवाल नहीं करती मैं हिन्द देश का नागरिक हिंदू परिवार का हिंदुस्तान यूं ही नहीं बना म...
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें