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मंगलवार, 14 नवंबर 2017



कौन सुनेगा इनकी ? जहाँ राजा का ही गुणगान करने से फुर्सत नही। राजा तक आवाज़ पहुँचाने के लिए उतने ही ज्यादा जतन किए जाते हैं, जितना भीतर गलत होने का डर भरा होता है। लाउड स्पीकर, डी जे, राज्याभिषेक, पुष्पक विमान, महापूजा, महायज्ञ, महाभोज। जितना भव्य आयोजन उतनी उँची आवाज़। पर ऊँची आवाज़ पुकार कहाँ होती है। राजा राम को कम सुनाई देने लगा है, इन चिल्लाहटों से, ऊँची ऊँची आवाज़ों से अब वो चिढ़ते होंगे। वो देखते होंगे नीचे की ओर और दहाड़े मार के रोते होंगे। उनकी प्रजा खुश नही है, तो वो खुश कैसे हो जाएं ? उनके भक्त डरे हुए हैं, वो कैसे खुश हो जाएं। वो कम से कम अपने जन्म स्थान में तो राम राज्य देखना चाहते होंगे। उनके नाम पर राम राज्य का कौन सा स्वरूप उनके परम भक्त प्रस्तुत करना चाहते हैं, ये भक्त जानते हैं या मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु राजा राम।
सुनो राम, अब तुम्हारे 84 कोसी राज क्षेत्र में राम राज केवल मंदिर के भीतर आया है, सिंघासनों पर आया है। तुम्हारे परम भक्त हनुमान को तुम अयोध्या का राजा घोषित करके गए थे। वो पवन पुत्र सबसे बल शाली भक्त ने भी घुटने टेक दिए, इन नए राम राज्य की कल्पना करने वाले भक्तों के सामने। तुम्हारे राम राज्य में पैदा हुए बहुत से परिवार अब अपनी जमीने खो चुके हैं। तुम्हारे नाम की उपज देख कर सैकड़ों बाहरी बली महाबलियों ने उनकी जमीनों, रोजगार को छीन लिया है। उन्होंने तुम्हारी प्रजा को प्रसाद लेने कि कतार में खड़ा कर दिया है। चुटकी भर प्रसाद के बदले बोरी भर अनाज का दान तुम्हारी मेहनतकश प्रजा यहाँ रख जाती है। कुछ दिन अपना पेट काट काट के उस महादान को संतुलित कर पाती है। तुम्हारी प्रजा के घर टूट रहे हैं, उनपर नए भक्त राजाओं के महल खड़े हो रहे हैं। जिन्हें वो तुम्हारा ही मंदिर कहते हैं। तुम्हारे नाम से जो कारोबार चल रहा है, उसमें आस्था का सौदा हो रहा है। राम तुम देखते होगे बेबस ? तुमको भी तो कैद कर लिया गया है न राम ? तुम सूर्यवंशी थे न ?
तुम्हारे नाम की परिक्रमाएं होती हैं, 14 कोसी जानते होंगे न ? आज के 45 किलोमीटर होता है, नंगे पैर तुम्हारी प्रजा चलती है टूटी सड़कों पर, ककरीले कच्चे पक्के रास्तों पर। छाले पड़ जाते हैं, महीनों पैरों के घाव नही जाते । पंचकोसी जानते होंगे न तुम ? 15 किलोमीटर होती है। तुम्हारे राज्य की शहरी प्रजा चलती है नंगे पैर, जो कभी कच्ची जमीन पर नंगे पैर नही चलती। प्रजा तुममे आस्था रखती है, वो यहाँ के अत्याचारों से सहमी हुई है। पर तुम्हारी आस्था का फल राजा को ही क्यों मिलता है ? तुम तो सब राजाओं के राजा हो, पर तुम भोले हो अपनी प्रजा की ही तरह। तुमने वाकई कभी किसी एक छली, कपटी, आततायी, बुद्धिमान रावण का संहार किया था ?

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