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मंगलवार, 28 अक्टूबर 2025
प्रिय पहाड़ , शायद तुम्हे छोड़ने आऊँ !
बोलो सब नेतन की जय !
पास में न है फूटी कौड़ी
मांगे झारा वोट
बातन के बतासा फोड़े
ढीली करें लंगोट
राजनीति का चढ़ा के पारा
मजा करें विस्फोट
नेता जी जब सुर्रा छोड़ें
पांव पड़े सब छोट
बड़े बडन संग फोटू मढ़ावें
पर्दा में सब खोट
बाप मतारी , बच्चा घरैतिन
पीसें घरमा होंठ
बदली हवा राजनीति की
तब नेता बनिगे बोट
बना सिंहासन बढ़ा कारवां
परि गई लूट घसोट
चर चर पहिया करें सवारी
भक्तन पर सब चोट
नेता पहुंचे राजमहल मा
जनता ढूंढे रोट
नेता नहीं, अब ब्रम्ह देव हैं
स्वीकार करें सब नोट
शादी बियाह औ काम काज
बे काजन को कोट
गुरगन संग दरबार चलावें
फरियादिन की खोट
देख दायरा बढ़त कलेजा
दांव परे हर गोट
लाल गुलाबी गाल बजावें
खद्दर पहिने मोट
जिन्दन पर हाय हाय
मुर्दन पर सोंट
पांच साल की करनी धरनी
पल मां जाएं घोंट
सेल्फी रील और मीडिया
वायरल होय लहालोट ...
बोलो सब नेतन की जय !
तुम कह दो तो मन मीत बनूँ !
मन पहले भी था पार प्रिये
मन आज भी है चीत्कार प्रिये
तुम कह दो तो संसार तजूं
तुम कह दो तो मझधार चुनूं
मन आज का न जंजाल प्रिये
मन भीतर बाहर सवाल प्रिये
तुम कह दो तो रस मोह पियूं
तुम कह दो तो बस टोह धरुं
मन धीर तुम्हारे धीश प्रिये
मन व्याकुल चंचल शीश प्रिये
तुम कह दो तो परवान चढूं
तुम कह दो तो पतवार बनूँ
मन बना बनाया राग प्रिये
मन सावन ,भादंव, फाग प्रिये
तुम कह दो तो कोई गीत बनूँ
तुम कह दो तो मन मीत बनूँ !
मन पहले भी था पार प्रिये
मन आज भी है चीत्कार प्रिये !
सोमवार, 27 अक्टूबर 2025
आधा चुप आधा बुत !
काम का भूखा हूँ
पैसों से सूखा हूँ
आधा चुप आधा बुत
घूमता फिरता हूँ मैं
बाज़ार में बेंचता अपना
माल और हुनर
इनसानियत की आड़ में
बहुत कुछ दे आता उधार
आधी बचत , आधी खपत
से जिन्दगी जी रहा हूँ मैं
खुश रहता हूँ मगर
कभी कभी अकेले में
दहाड़े मार हंसता भी हूँ
कार के जमाने में बाइक पर
झूमता , गीत गाता
रो पड़ता हूँ मैं
बाज़ार इतना चालू हो गया है
अब कि उधार लिखा नहीं जाता
व्यवहार लिखा जाता है
रिश्तों में , नातों में
बातों के ताने बाने में
ठहरने की कोशिश में
और गिर जाता हूँ मैं
उठता गिरता संभालता
पालता हूँ बीस का पेट
पालना महंगा नहीं होता
महंगी होती है उधारी
मांगी नहीं जाती, बरती नहीं जाती
बरतने की साध में
सिर्फ 6 महीने जीने
की बात करता हूँ मैं
बोलना और
अपने बोलने को सुनना
की आदतों से घिरा
आधा चुप आधा बुत
बन जाता हूँ मैं !
शुक्रवार, 24 अक्टूबर 2025
आओ पेट्रोल टंकी !
आओ पेट्रोल टंकी !
बड़े बड़े चक्के जो घूमें
बड़ी बड़ी मशीने घूमें
घूमें सब बाज़ार
आओ
पेट्रोल टंकी ....
आओ पेट्रोल टंकी !
तेल भरें हम दिन और रात
कहने को होती बरसात
टंकी कहती छोडो यार
आओ
पेट्रोल टंकी !
आओ पेट्रोल टंकी !
मोबिल, डीज़ल और पेट्रोल
ग्रीस , यूरिया फुल कण्ट्रोल
कूलैंट मारे ठंढी हिलौर
आओ
पेट्रोल टंकी
आओ पेट्रोल टंकी !
जय जवान है जय किसान
तेल नहीं ये भारत की शान
ये है भारत पेट्रोलियम
आओ
पेट्रोल टंकी
आओ पेट्रोल टंकी !
कौन हो तुम ....
कौन हो तुम जो समय की खिड़की से झांक कर ओझल हो जाती हो तुम्हारे जाने के बाद तुम्हारे ताज़ा निशान भीनी खुशबू और गुम हो जाने वाला पता महस...
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रानीखेत….रानीखेत से यूँही कुछ 20 किलोमीटर की दूरी पर एक गाँव है सौनी, वही सौनी जिसकी हर एक ईंट पर स्वर्गाश्रम बिनसर महादेव का आशीर्वाद है...
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भारत का नागरिक होने के नाते मैं और मेरी नागरिकता मुझसे सवाल नहीं करती मैं हिन्द देश का नागरिक हिंदू परिवार का हिंदुस्तान यूं ही नहीं बना म...
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"चेतावनी - यह कहानी केवल वयस्क लोगों के लिए है । कहानी के कुछ प्रसंग एडल्ट की श्रेणी के हैं । कृपया बच्चे या किशोर इसे न पढ़ें । "...


