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रविवार, 1 सितंबर 2024

तुम कुछ और .......

 


मेरी माफी का जिक्र 

मुझसे न करना 

तुम कुछ और बह लेना 


कह लेना मुझसे 

मेरे कुफ्र की बातें 

कभी जब तन्हा 

तुम कुछ और रह लेना 


अभी कहा कहां हैं 

कहां जाने को हूं मैं 

यकीन आए तो तलबगार

तुम कुछ और सह लेना 


बुरा भला अब कहां 

मेरे बस में 

मेरे मौन को चीत्कार में

तुम कुछ और कह लेना !


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