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रविवार, 23 मार्च 2025

मैं लौट आता हूं अक्सर ...




लौट आता हूं मैं अक्सर 

उन जगहों से लौटकर

सफलता जहां कदम चूमती

है दम भरकर 


शून्य से थोड़ा आगे

जहां से पतन हावी

होने लगता है मन पर

दौड़ता हूं सफलता की ओर

फिनिशिंग प्वाइंट के ठीक पहले

ठिठककर रोक लेता हूं 

खुद को वहां भी 

ठहरकर , जाने देता हूं

जरूरतमंदों को पहले


नौकरी की लाइनों से

अस्पतालों की ओ पी डी से

राशन की दुकानों से

जनप्रतिनिधियों के दरबार से

प्रेमिकाओं के प्यार से 

मंदिरों में कतार से

लौटता हूं अक्सर 

जैसे लौटता हूं

शराब की दुकानों से 

बिना कुछ लिए


मालूम है मुझे

नहीं लौट पाऊंगा कभी

मृत्यु के द्वार से 

प्रस्थान बिंदु के पहले 

अनगिनत बार 

लौटना चाहता हूं 

लौट कर हर बार 

कुछ नया पाता हूं 

उस जगह 


रिक्त स्थान होते हैं 

सिर्फ भरने के लिए 

खुद को भरने से पहले

लौट आता हूं मैं अक्सर

लौटना मुझे अच्छा लगता है ।

5 टिप्‍पणियां:

Bharti Das ने कहा…

बहुत सुंदर अभिव्यक्ति

Anita ने कहा…

सुंदर सृजन

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

सुन्दर

ANHAD NAAD ने कहा…

शुक्रिया

ANHAD NAAD ने कहा…

धन्यवाद

मैं लौट आता हूं अक्सर ...

लौट आता हूं मैं अक्सर  उन जगहों से लौटकर सफलता जहां कदम चूमती है दम भरकर  शून्य से थोड़ा आगे जहां से पतन हावी होने लगता है मन पर दौड़ता हूं ...