मैं लिखता हूं
और बच जाता हूं
उन सवालों से
जो मुझे मेहनत करने
को प्रेरित करते हैं ।
मैं खूब लिखता हूं
सोचता हूं
बदल दूंगा दुनिया या
चाहर दिवारियों के रंग
मैं लिखता हूं
जब टूटता हूं
समाज की जटिल रूपरेखाओं
से थक जाता हूं
मैं लिखता हूं
जब मैं कुछ नहीं
करना चाहता
बैठे बिठाए
न जाने कौन से कर्म
या मेहनत को
मैं लिख रहा होता हूं ।
मैं एक नंबर का
निठल्ला और झुट्ठा
लेखक हूं
मुझसे ज्यादा
थाने का मुंशी
कोर्ट का पेशकार
तहसील का लेखपाल
डाक्टर का पर्चा
और एक छात्र लिखता है ।
मैं लिख कर
चुनता हूं
सभ्यता और उसके विकास
को अपनी नजरों में
तोल लेना चाहता हूं
मात्र !
मैं लिख लिख कर
मुस्कुराता हूं
थक जाता हूं
सो जाता हूं ।
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