मैं सो गया
नितांत एकांत में
जहां मैं था
तुम थे
और अवसान !
भरी दुनिया से थका
हारा ढूँढता
शीत का प्याला
टिमटिमाती रौशन
लड़ी में पिरोये पहाड़
टूटे नहीं उस दिन
जब मैं सो गया !
फिर झुंझलाकर मैने पूछा अपनी खाली जेब से क्या मौज कटेगी जीवन की झूठ और फरेब से जेब ने बोला चुप कर चुरूए भला हुआ कब ऐब से फिर खिसिया कर मैन...
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