मैं सो गया
नितांत एकांत में
जहां मैं था
तुम थे
और अवसान !
भरी दुनिया से थका
हारा ढूँढता
शीत का प्याला
टिमटिमाती रौशन
लड़ी में पिरोये पहाड़
टूटे नहीं उस दिन
जब मैं सो गया !
भारत का नागरिक होने के नाते मैं और मेरी नागरिकता मुझसे सवाल नहीं करती मैं हिन्द देश का नागरिक हिंदू परिवार का हिंदुस्तान यूं ही नहीं बना म...
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