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शनिवार, 15 मई 2021

और मैं सो गया !

 


मैं सो गया

नितांत एकांत में

जहां मैं था

तुम थे 

और अवसान !

भरी दुनिया से थका

हारा ढूँढता 

शीत का प्याला


टिमटिमाती रौशन

लड़ी में पिरोये पहाड़

टूटे नहीं उस दिन

जब मैं सो गया !

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