मैं सो गया
नितांत एकांत में
जहां मैं था
तुम थे
और अवसान !
भरी दुनिया से थका
हारा ढूँढता
शीत का प्याला
टिमटिमाती रौशन
लड़ी में पिरोये पहाड़
टूटे नहीं उस दिन
जब मैं सो गया !
एक बड़ी संस्था के ऑफिस टेबल के नीचे ठीक बीचों बीच एक पेन तीन दिन पड़ा रहा ऑफिस में आने वाले अधिकारी , कर्मचारियों की रीढ़ की हड्डी की लोच...
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