इक मौत
उधार कर
जा रहा हूँ
तुम्हारी दुनिया से
बेवफाई मुझे
आई नही
न नाखून चबाए
तुम्हारे दीद को
चलने की बीमारी
रुकने नही देती
लाशों के ढेर पर
अब और नही
चला जाता
मैं जा रहा हूँ
वहां जहां से
लौटता कोई नही
स्मृतियां जाती नही
कहीं दूर कभी
मैं उन्हें ले जा रहा हूँ
अपने साथ !
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