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रविवार, 11 अप्रैल 2021

तुम मेरे श्रोता हो !


तुमको भूखा रखने के बाद

मैंने तुम्हें खाना दिया 

तुमने तिनके की वकत समझी

तुम्हारे हाँथ से सारे पैसे

चौराहे पर रखे पत्थर पर चढ़वा दिए

तुमने पैसों की अहमियत जानी

तुम्हारी दम घुटती मृत्य से भी

शायद मैंने ही परिचय करवाया 

तुम जब जब बोलने को होते

मेरी आँख तुम्हे रोकती

बोलना ठीक नही होता

बोलने से ठीक पहले

तुम्हारे जीवन की दिशा को

मैंने बलपूर्वक बदला

याद रखो

कि मैं गर नही होता

तो तुम भी नही होते

न होती जीवन जीने की 

प्रबल इच्छा

जीवन के प्रति भय


मुझे तुम बस सुनते जाओ

सिर्फ सुनते जाओ

तुम एक आदर्श श्रोता हो 

बड़ों की बात मान के

तुम रोज़ाना पूण्य कमाते हो !

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