हम लांघ जाते हैं
अपनी हदें
लांघने के बाद
सहसा सांस
रुक जाती है !
हम पाते हैं
अनजान मरुस्थल में
कोई दिशा नहीं
वजह कोई भी हो
हालात कैसे हों
हमने जो किया है
वह शह और मात है
न मानने की गुंजाइश
होती भी है
नहीं भी !
प्रेम आशा वादी लोगों
का समागम है।
जो जानते हैं
पानी सा घुल जाना
मीठी बयार ही है
सांस ना मिले
तो बिगड़ना तय है !
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