मेरी बातों से तू इत्तेफाक न रख
दर्द को न सहला, न दे जिन्दगी मुझे
सम्भलने का अब जमाना नहीं रहा
वो हांसिल मुझे दे बड़े एहतराम से
उम्र तराश दी जिस मुकाम के लिएप्रिय मां , मां तीसरा दिन है आज तुम्हे गए हुए । तीन दिन से तुम्हारी आत्मा को शांति देने के लिए न जाने कितने प्रयत्न कर लिए हमने । पर तुम्हा...
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें