मेरी बातों से तू इत्तेफाक न रख
दर्द को न सहला, न दे जिन्दगी मुझे
सम्भलने का अब जमाना नहीं रहा
वो हांसिल मुझे दे बड़े एहतराम से
उम्र तराश दी जिस मुकाम के लिएफिर झुंझलाकर मैने पूछा अपनी खाली जेब से क्या मौज कटेगी जीवन की झूठ और फरेब से जेब ने बोला चुप कर चुरूए भला हुआ कब ऐब से फिर खिसिया कर मैन...
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