मेरी बातों से तू इत्तेफाक न रख
दर्द को न सहला, न दे जिन्दगी मुझे
सम्भलने का अब जमाना नहीं रहा
वो हांसिल मुझे दे बड़े एहतराम से
उम्र तराश दी जिस मुकाम के लिएभारत का नागरिक होने के नाते मैं और मेरी नागरिकता मुझसे सवाल नहीं करती मैं हिन्द देश का नागरिक हिंदू परिवार का हिंदुस्तान यूं ही नहीं बना म...
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