ठहर कर
एक पल
मादक वसंत
झरने सा
झर झर
बह गया
लहर कर
गाल ऊपर
बाल काले
मोहक छवि
को गढ़ गया
दुबक कर
आंख का
काजल
सुनहरे
मोतियों
में ढल गया
गुलाबी
नर्म होंठों पर
न जाने
कौन सा
किस्सा
अधूरा रह गया
ठहर कर
एक पल
मादक वसंत
झरने सा
झर झर
बह गया
लहर कर
गाल ऊपर
बाल काले
मोहक छवि
को गढ़ गया
दुबक कर
आंख का
काजल
सुनहरे
मोतियों
में ढल गया
गुलाबी
नर्म होंठों पर
न जाने
कौन सा
किस्सा
अधूरा रह गया
याद बहुत आती है मुझको
एयर फोर्स की अपनी होली
धूम मचाने जहां निकलती
बिंदास बैचलर्स की टोली
याद बहुत आती है मुझको
एयर फोर्स की अपनी होली
मिश्रा भाभी का मीठी गुजिया से
मुंह मीठा करवाना
दही बड़े जो बड़े बड़े थे
गुप्ता जी के घर पर
हक जमाकर प्लेट उठाकर
झट से चट कर जाना
यादव सर का दुध का शर्बत
कहकर भांग पिलाना
इसी खुमारी में रेड्डी का
सी ओ संग भंगडा पाना
राव गारू की इडली चटनी
चौबे का लिट्टी चोखा
मलिक और राठी के घर पर
हर बार मिला जो धोखा
दिखा पकौड़े, डंडे कोड़े
मुहब्बत भरे खिलाना
पिल्लै सर का लिटिल लिटिल
कहकर हमें पिलाना
अहमद और जैकब का हैप्पी
होली कहकर गले लगाना
गुलाल लगाकर रफीक का
मेरे बदले ड्यूटी जाना
भूला कहां मैं शेखावत का
वो रजपूती बाणा
बिना सुर के सांझ ढले तक
उसका राजस्थानी गाना
लगा एक कैंप नहीं
एक परिवार हैं हम
संग संग जीने का
आधार हैं हम
एक इकाई, पड़ी दिखाई
भले संस्कृति रही
सबकी अलग अलग
अलग अलग रही सबकी बोली
याद बहुत आती है मुझको
एयर फोर्स की अपनी होली
धूम मचाने जहां निकलती
बिंदास बैचलर्स की टोली.
वायु सेना की यादें,,,,,,,
प्रताप सिंह
रि. वायु सैनिक
भारतीय वायु सेना
ठहर कर एक पल मादक वसंत झरने सा झर झर बह गया लहर कर गाल ऊपर बाल काले मोहक छवि को गढ़ गया दुबक कर आंख का काजल सुनहरे मोतियों में ढल गया गुल...