इन दिनों मैं भगवान लाया हूं
कमरे की छोटी सी अलमारी में
जो लेने गया था बाज़ार में
वो तो न मिला
पर फ्रेम वाली फोटो हनुमान की
कांच का शिवलिंग मिला कस्बे में
अलमारी में
किताबे भी रखी हैं नई पुरानी
छिपकलियां घूमती हैं जिसमें
दादी की सील चुकी फ्रेम तस्वीर
के पीछे छिप रहती हैं अक्सर
मैं भगवान के साथ
खूब ढेर सारी धूप , अगरबत्ती
हवन सामग्री , लोबान , गुग्गल, कपूर
और कुछ ज्यादा ठंडा करने वाला चंदन
टूटी आम की लकड़ियां सुलगाने
पिछले महीने लिए खाने वाला घी
काम आया हवन में ,
स्थापना के वक्त
इन दिनों मैं रोज सुबह शाम
धूप जलाता हूं , घी का दीपक जलाता हूं
अगरबत्ती सुलगाता हूं
और कुछ नई स्तुतियां गाता हूं
मैने सीख लिया है हमारे बीच नहीं रहे
पूर्वजों के आगे धूप जलाना
अन्य भगवानों के लिए दीप जलाना
कुछ आशीष के आकांक्षा लिए
हांथ जुड़ते हैं , होंठ बुदबुदाते हैं
इन दिनों जो में काम कर रहा हूं
ये कई वर्षों से किया जाता रहा है
मेरे करीबियों के जीवन में
मेरे मार्गदर्शकों के घरों में
घर के उस कोने में छिपकलियां
अब नही आती ,
मच्छर भी धूप धुएं से
कम हैं पहले से
इन सारे उपायों के केंद्र बिंदु में
मन के भीतर से जब भी कोई
मांग करता हूं
मन भटक जाता है
मैं , मेरा परिवार , मेरी संपत्ति
या अमन चैन
से होता हुआ मन
यात्रा करता है
मणिपुर , यूक्रेन , रूस , इजराइल
कितना कुछ है मांगने को
पर मांगना क्यों ?
ईश्वर मुझसे कहता है
मांगना क्यों ?
मैं बंद कर देता हूं पूजा
कस लेता हूं जूते
निकल पड़ता हूं
लंबी यात्रा पर
इन दिनों मैं
भगवान लिए घूमता हूं ।
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