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सोमवार, 25 अप्रैल 2022

सुगना की गुड़िया !



 सुगना का अपना अलग संसार है । जिसमें तमाम सारी गुड़िया हैं । छोटे छोटे खिलौनों वाला किचन सेट है । कहानियों वाली किताबें हैं । उसने अपनी सभी गुड़ियों का नाम रख रखा है । कुछ नाम कार्टून की दुनिया से आते हैं । तो कुछ विदेशी नामों से पहचानी जाती हैं। यूँ तो उसके रोज के जीवन में किसी न किसी गुड़िया का साथ रहता है । पर उसकी सबसे चहेती गुड़िया का नाम " सुनती" है । वो रोज शाम को सोने से पहले उस गुड़िया से बाते करती है । 

दरअसल वह गुड़िया रिकॉर्डिंग वाली गुड़िया है । सुगना उसके पेट पर लगी एक छोटी सी बटन को दबाती है । और वो गुड़िया बोल पड़ती है । " आज क्या है तुम्हारे दिल में " इतना कहना होता है । कि सुगना उसे अपनी नज़रों के सामने रखती है । सुनाने लगती है अपने दिल की बातें। यह गुड़िया उसके पापा ने कुछ साल पहले उसे जन्मदिन पर गिफ्ट की थी ।

सुगना के मम्मी पापा नौकरीपेशा हैं। मम्मी शाम को काम से आती है । पापा हफ्ते में एक या दो दिन के लिए घर आते हैं । ढेर सारा काम निबटा के मम्मी पापा के पास सुगना के साथ खेलने , बैठने या बात करने की क्षमता नही बचती। सब के इकट्ठा होने के बावजूद भी घर में एक अजीब सी चुप्पी रहती है । बात होती है । मगर गैर जरूरी बात कुछ भी नही ।

सुगना के मम्मी पापा उसे बेहद प्यार करते हैं । पर भाग दौड़ भारी जिन्दगी ने उसके जीवन में बहुत सा अबोला भर दिया था। जिसकी पूर्ति वो " सुनती " को सुना के पूरी करती है । वो उससे बातें करती है । बात करते करते सो जाती है । सुबह उठ कर स्कूल जाने से पहले वो सुनती का बटन ऑफ करती है । और उसको बाय बोल स्कूल चली जाती है । 

सुगना की गुड़िया में सुगना के संसार की बातें कैद होती रहती हैं दिन पर दिन । पढ़ाई , लिखाई को लेकर मम्मी की डाँट का जिक्र उनमें होता । तो पापा की मम्मी के साथ गाली गलौज की शिकायतें उनमें दर्ज रहती । हर छोटी बड़ी बातों में सुगना प्यार का हिसाब किताब ढूंढ लाती है । मम्मी इतना प्यार करती हैं मुझे । पापा इतना करते हैं । सुबह और शाम के घटनाक्रमों के टुकड़े जोड़ तोड़ कर सुगना अपनी गुड़िया को सुना देती । पिज़्ज़ा , मैगी , पास्ता, मैक्रोनी , फ्राइज़ की चटपटी बातें सुना के सुगना सुनती से पूछती ! मज़ा आया ? 

इस बार गर्मी की छुट्टियों में सुगना अपनी मम्मी के साथ नानी के घर चली गयी । पापा की हिदायत के बावजूद भी वो गुड़िया को यहीं भूल गयी । नानी के घर पहुँचने के बाद सुगना को गुड़िया के छूट जाने का ख्याल आया । वो थोड़ा उदास हुई । पर नानी के यहाँ उदासी ज्यादा दिन टिकती नही । 

अबकी वीकेंड जब पापा घर आए तो उन्हें सुगना की बहुत याद आयी । वो जाना तो चाहते थे सुगना के साथ । पर घर अकेला नही छोड़ा जा सकता था । सुगना का गुड़ियों का संसार देख उन्हें उस पर और ज्यादा प्यार आने लगा । उन्होंने सुनती को भी हाँथ में लिया । सुनती के बालों के पीछे एक हिडेन बटन था । जिसके बारे में पापा ने सुगना को कभी नही बताया गया था। उसको दबाते ही सुनती के भीतर जितनी बातें रेकॉर्ड हुई थी । वो बारी बारी बजने लगी ।

सुगना की मीठी बातें पापा की आंखों को नम करती रहीं । उसका प्यार , उसकी शिकायतें , उसका दुलार सुन कर पापा को लगा ही नही जैसे पापा सुगना से कभी दूर भी होते हैं । प्यार के मामले में मम्मी का पापा से ज्यादा जिक्र पापा को रश्क से भर देता । 

पर इस बीच कुछ ऐसा घटने लगा जिसके बारे में पापा ने कभी सोचा नही था । सुनती बोलती रही ........ आज अंकल आये थे , उन्होंने मुझे चॉकलेट खिलायी । अंकल मम्मी का बहुत खयाल रखते हैं । पापा अंकल की तरह क्यों नही हो ? ..... 

आज फिर अंकल आये थे । उन्होंने मुझे कहानी सुनाई । अंकल के पास ढेर सारी कहानियाँ हैं । पापा के पास कहानियाँ क्यों नही है ? .....

अंकल ने मुझे लोरी सुनाई । और वो मम्मा के साथ सो गए । .....

पापा ने झट से सुनती की बोलने वाली बटन बन्द कर दी । सुनती को एक किनारे रख दिया । पापा के दिमाग में ऊल जुलूल ख्याल आने लगे । पूरी रात बेचैनी में कट गई । सुबह उन्होंने सुनती का सुनने वाला बटन दबाया । और कहा बेटू आई मिस यू , आई लव यू , आई एम कमिंग । 


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