तुम्हारे पुराने पते पर
मैंने कई ख़त लिखेख़त में तुम्हारा नाम
नही लिखा कभी
न लिखी आपबीती
न भारी समय की व्यथा
क्या लिखता तुम्हे
नए पते पर
जहाँ अब मैं नही रहता
ख़त में लिखी बातें
पते के साथ
अर्थ बदल देती हैं ।
फिर झुंझलाकर मैने पूछा अपनी खाली जेब से क्या मौज कटेगी जीवन की झूठ और फरेब से जेब ने बोला चुप कर चुरूए भला हुआ कब ऐब से फिर खिसिया कर मैन...
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