तुम्हारे पुराने पते पर
मैंने कई ख़त लिखेख़त में तुम्हारा नाम
नही लिखा कभी
न लिखी आपबीती
न भारी समय की व्यथा
क्या लिखता तुम्हे
नए पते पर
जहाँ अब मैं नही रहता
ख़त में लिखी बातें
पते के साथ
अर्थ बदल देती हैं ।
भारत का नागरिक होने के नाते मैं और मेरी नागरिकता मुझसे सवाल नहीं करती मैं हिन्द देश का नागरिक हिंदू परिवार का हिंदुस्तान यूं ही नहीं बना म...
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