तुम्हारे पुराने पते पर
मैंने कई ख़त लिखेख़त में तुम्हारा नाम
नही लिखा कभी
न लिखी आपबीती
न भारी समय की व्यथा
क्या लिखता तुम्हे
नए पते पर
जहाँ अब मैं नही रहता
ख़त में लिखी बातें
पते के साथ
अर्थ बदल देती हैं ।
एक बड़ी संस्था के ऑफिस टेबल के नीचे ठीक बीचों बीच एक पेन तीन दिन पड़ा रहा ऑफिस में आने वाले अधिकारी , कर्मचारियों की रीढ़ की हड्डी की लोच...
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