तुम्हारे पुराने पते पर
मैंने कई ख़त लिखेख़त में तुम्हारा नाम
नही लिखा कभी
न लिखी आपबीती
न भारी समय की व्यथा
क्या लिखता तुम्हे
नए पते पर
जहाँ अब मैं नही रहता
ख़त में लिखी बातें
पते के साथ
अर्थ बदल देती हैं ।
कोई है जो इन दिनों तितलियों के भेष में उड़ाती रंग पंखों से कोई है जो इन दिनों बारिशों के देश में भिगाती अंग फाहों से कोई है जो इन दिनों ...
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