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सोमवार, 27 सितंबर 2021

गूगल !

 मैं तेईस वर्ष

आंखों के बंटे में

गोल देखता इतना
लगता दिल के करीब ..

फरेब न समझ
असल समझ

इतनी कम उम्र में
दुनिया समेटना
मूर्ख आकाश में
समझ से हल्का
दिल माँगता कुछ न
देने को बैठा समय
और समय । 

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राह कटे संताप से !

फिर झुंझलाकर मैने पूछा अपनी खाली जेब से  क्या मौज कटेगी जीवन की झूठ और फरेब से  जेब ने बोला चुप कर चुरूए भला हुआ कब ऐब से  फिर खिसिया कर मैन...