मैं तेईस वर्ष
आंखों के बंटे में
गोल देखता इतनालगता दिल के करीब ..
फरेब न समझ
असल समझ
असल समझ
इतनी कम उम्र में
दुनिया समेटना
मूर्ख आकाश में
समझ से हल्का
दिल माँगता कुछ न
देने को बैठा समय
और समय ।
भारत का नागरिक होने के नाते मैं और मेरी नागरिकता मुझसे सवाल नहीं करती मैं हिन्द देश का नागरिक हिंदू परिवार का हिंदुस्तान यूं ही नहीं बना म...
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