मेरे हाँथ से बचपन
दुखते दुखते बचता है।
मातृत्व का ककहरा सिखाती
तुम मेरे भीतर बैठ जाती हो।
यकीनन तुम मेरे बच्चे की मां
नहीं हो
न ही मैं तुम्हारे बच्चे का पिता ।
कोई जिद्दी मांग
नन्ही कलम की डायरी
बड़ी सी ड्रवाइंग बुक
हांथी की सूंड़ वाला बस्ता
छोटी मोटी डांट
कविता , कहानियों वाली शाम
और ढेर सारी
शरारत से लेकर
दांतों के कीड़े का ध्यान
तुम्ही ने सिखाया
बच्चों में बच्चा होना !
धूप के साये की तासीर
कितना खरा करती है जीवन
संवेदनाओं का ज्वार
न होने का दुख जाने देता है
कोमल त्वचा का स्पर्श
हर लेता है देंह का दर्द
मेरा खोया हुआ बचपन
मेरे साथ हो लेता है
तुम कहीं दूर
बच्चों की दुनिया में
नए रंग भर रही होती हो ।
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