कुल पेज दृश्य

बुधवार, 4 अक्टूबर 2017


घर घर मन्दिर
मन्दिर के बाहर जन हैं

भीतर से टूटे मन
राम, धाम, भजन हैं

सेवा, पाप, पुण्य
कुछ और, मुक्ति बंधन हैं

#राम_की_अजोध्या

कोई टिप्पणी नहीं:

राह कटे संताप से !

फिर झुंझलाकर मैने पूछा अपनी खाली जेब से  क्या मौज कटेगी जीवन की झूठ और फरेब से  जेब ने बोला चुप कर चुरूए भला हुआ कब ऐब से  फिर खिसिया कर मैन...