(कहानी)
ईद इन ड्रीमलैंड
माँ मुझे कुछ पैसे
दो, मुझे नए कपड़े खरीदने है... कपड़े ! मगर अभी कुछ दिन पहले ही तो लेकर दिए थे..
माँ मुझे नए कपड़े पेहेन कर ईद में घुमने जाना है, ईद के मौके पर ड्रीम लैंड वाटर
पार्क में एक के साथ एक इंट्री फ्री है माँ.. (माँ कुछ बुदबुदाते हुए).. ये ले बस
इतने ही हैं.. माँ बस तीन सौ रुपये ?..इस महीने की मेरी पगार भी तो रखी होगी...उसमें
से दे दो कुछ... नहीं वो रखे रहने दे, वक़्त जरूरत काम ही आते
हैं... तेरे पापा वैसे भी घर में नहीं रहते, पार्टी लेकर अक्सर बाहर जाया करते
हैं....और तुझे घुमने की सूझी है.... बस इतने से काम चला.. अमन की आँखें नम हो आई
थी.. उसने चाँद रात के ठीक पहले वाले दिन अपनी गुल्लक फोड़ १५०० रुपये निकाल लिए
थे...पैसे निकाल के उसने जुबैर को सिटी माल में बुलाया....दोनों ने एक एक नया कपड़ा
खरीदा..और ड्रीम लैंड की इंट्री टिकेट भी खरीद लिए....अमन ने चाँद रात के साए तले पल
रहे सपनो के बीच, दोस्त के साथ ड्रीम लैंड वाटर पार्क में खूब मस्ती की, चाँद रात
में बारिश की बूंदों ने अमन से ईद पर ड्रीम लैंड का सपना भी छीन लिया था...!
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