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सोमवार, 24 फ़रवरी 2025

मुट्ठी भर तारे ...



तुम जहां कहीं भी

हो आसमान में

लौट सके तो

लौटना

तोड़ लाना तारे

मुट्ठी भर कुछ

मेरे लिए


रोज रात आसमान में

नजरें गड़ाए 

ढूंढता हूं तुमको

अनगिनत तारों और

एक चंद्रमा के अलावा

कुछ नहीं देख पाता


यहां को छोड़ गए लोग

बताए जाते हैं 

जाते हैं वहां आसमान में !

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