तुम जहां कहीं भी
हो आसमान में
लौट सके तो
लौटना
तोड़ लाना तारे
मुट्ठी भर कुछ
मेरे लिए
रोज रात आसमान में
नजरें गड़ाए
ढूंढता हूं तुमको
अनगिनत तारों और
एक चंद्रमा के अलावा
कुछ नहीं देख पाता
यहां को छोड़ गए लोग
बताए जाते हैं
जाते हैं वहां आसमान में !
भारत का नागरिक होने के नाते मैं और मेरी नागरिकता मुझसे सवाल नहीं करती मैं हिन्द देश का नागरिक हिंदू परिवार का हिंदुस्तान यूं ही नहीं बना म...
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें